कान ( ear ) का पीड़ा
कारण
- ईयर वैक्स ब्लॉकेज
- नर्व वास्तविक चोटें
- ओटिटिस मीडिया जैसे इनफ़ेक्शन जहां मध्य कान ( ear ) इन्फेक्टेड है
- मध्य कान ( ear ) को पर्यावरणीय नुक़सान
- जल से रिलेटेड कान ( ear ) की चोट
- साइनोसाइटिस तोंसिल्लितिस
- दांतों की प्रॉब्लम ( problem )
- अवटुशोथ
- नर्व वास्तविक चोटें
लक्षण
- खारिश और संजीदा कान ( ear ) पीड़ा
- जबड़े में पीड़ा के साथ चबाने में मुसीबत
- कान ( ear ) से बदबूदार स्त्राव
- कान ( ear ) में बज रहा है
- कान ( ear ) के आस-पास चोट लगने की स्थिति में बाहरी कान ( ear ) का लाल होना
- स्वेलिंग के साथ सुनने में दिक्कत
घुमेरी ( dizziness ) / मोशन सिकनेस
कारण
- कुछ औषधियों के साइड इफेक्ट
- भीतरी कान ( ear ) की नुक़सान या इनफ़ेक्शन
- मस्तिष्क या गर्दन ( neck ) में चोट
- अधकपारी सरदर्द
- सर्विकल स्पॉन्डिलाइसिस
- ब्रेन की समस्याएं जैसे स्ट्रोक
- अंदरूनी भागों में स्वेलिंग
- निर्बलता/थकान
लक्षण
- मस्तिष्क का घूमना
- खड़े होने पर बैलेंस खोना
- उल्टी / मतली के साथ पसीना ( sweat ) आना
- मस्तिष्क में भारीपन के साथ सरदर्द
- कानों में बजना या सुनने की नुक्सान
- कंसंट्रेशन के हानि के साथ कन्फ्यूज्ड अवस्था
- प्रकाश के प्रति सेंसिटिव और शोर के प्रति असहिष्णुता
Name | Baidyanath Bilva Tail (25ml) |
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Other Names | बिलवाड़ी तेली |
Brand | Baidyanath |
MRP | ₹ 120 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), तैलम और घृत |
Sizes | 25 मिली |
Prescription Required | No |
Length | 3.3 सेंटिमीटर |
Width | 3.3 सेंटिमीटर |
Height | 10 सेंटिमीटर |
Weight | 41 ग्राम |
Diseases | कान ( ear ) का पीड़ा, घुमेरी ( dizziness ) / मोशन सिकनेस |
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About Baidyanath Bilva Tail
बिल्व टेल एक हर्बल तेल है जिसका इस्तेमाल कान ( ear ) की प्रॉब्लम्स जैसे मोम रिमूव, टिनिटस के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है। इस तेल का इस्तेमाल कर्ण पूर्णा नामक प्रोसेस के एक भाग के रूप में भी किया जाता है। बेल इस उत्पाद ( product ) का प्रमुख घटक है। उत्तर इंडियन आयुर्वेद ( ayurveda ) प्रशिक्षण में इस औषधि का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
Baidyanath Bilva Tail Useful in
इसका इस्तेमाल कान ( ear ) पीड़ा, सुनने में मुसीबत और टिनिटस, कान ( ear ) नहरों की सफाई के ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है।
How to use Bilva Tail Baidyanath
- कर्ण पूर्णा नामक एक प्रोसेस करने की परामर्श दी जाती है, जहां कुछ मिनट के लिए कान ( ear ) के भीतर तेल रखा जाता है।
- एक रूई के फाहे को तेल में डुबोकर कुछ मिनट के लिए कानों के अंदर रखा जाता है। इसका इस्तेमाल माथे और सामयिक क्षेत्रों पर मालिश के लिए भी किया जाता है।
एहतियात
- कर्णपूर्णा जैसी प्रक्रियाओं को केवल प्रोफेशनल मार्गदर्शन ( guidance ) में ही किया जाना चाहिए।
- इस तरह के तेल का बाहरी अनुप्रयोग पर कोई दुष्प्रभाव ( side effect ) नहीं होता है।