Baidyanath Nripatiballabh Ras (80tab)

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Baidyanath Nripatiballabh Ras (80tab)

रक्त की अभाव

कारण

  • आयरन की पुष्टिकारक तत्वों की अभाव
  • आयरन का बुरा समावेश
  • वजनी औषधि पर आदमी
  • माहवार धर्म और बहुत ब्लीडिंग डिसऑर्डर
  • खून की कमी का पारिवारिक हिस्ट्री

लक्षण

  • निर्बलता और सुस्ती महसूस होना
  • हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) का निम्न स्तर
  • भूख में अभाव
  • बालों ( hair ) का झड़ना
  • पीलापन और भंगुर नाखून ( nails )
  • सरलता से थक जाता है
  • सहनशक्ति की अभाव
  • अनियमित ( irregular ) हृदय की हार्टबीट के साथ सरदर्द

NameBaidyanath Nripatiballabh Ras (80tab)
Other NamesNripati Vallabh Ras
BrandBaidyanath
MRP₹ 128
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर
Sizes80tab
Prescription RequiredNo
Length3.7 सेंटिमीटर
Width3.7 सेंटिमीटर
Height7.6 सेंटिमीटर
Weight38 ग्राम
Diseasesरक्त की अभाव

नृपतिबल्लभ रासु के बारे में

नृपतिबल्लभ जूस एक हर्बोमिनरल-मेटालिक आयुर्वेदिक दवा है। यह एक रास आषाढ़ी है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में बुध को जूस के रूप में जाना जाता है और शुद्ध ( pure ) पारा, शुद्ध ( pure ) सल्फर, भस्म आदि का इस्तेमाल करके तैयार की जाने वाली औषधियों को रास दवा (मर्क्यूरियल तैयारी) के नाम से जाना जाता है। पारा, पारद, जूस या पारा एक वजनी धातु है जो कमरे के टेंपेरेचर ( temperature ) पर द्रव रहती है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद ( ayurveda ) में शास्त्रीय आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुरूप ( accordingly ) सही विषहरण के बाद ही किया जाता है। पारद अपने शक्तिशाली मेडिसिनल गुणों के कारण अनेक औषधियों का घटक है।

यह वात, पित्त और कफ, बलगम को बैलेंस्ड करता है। रास आषाढ़ी तेज अभिनय कर रहे हैं। वे पूरे बॉडी ( body ) का आहार-पोषण करते हैं और इसमें टॉनिक, कामोद्दीपक, कायाकल्प करने वाला, बुढ़ापा रोधी, ज़ख्म भरने वाला और रोगाणुरोधी प्रभाव ( effect ) होता है। पारद के योगवाही गुण के कारण और मेडिसिनल अवयवों के साथ पारा का सम्मिश्रण औषधि की इलाज प्रभावकारिता को बढ़ाता है। रास दवा बनाने में सबसे पहले शुद्ध ( pure ) पारद और गंधक से कज्जली बनाई जाती है। चूंकि इन औषधियों में वजनी धातुएं होती हैं, इसलिए इन्हें प्रिस्क्रिप्शन ( prescription ) औषधियों के रूप में लेना अच्छा होता है।

नृपतिबल्लभ जूस को संग्राहनी / ग्रहणी बीमारी के ट्रीटमेंट ( treatment ) में इशारा दिया गया है। ग्रहणी बीमारी, एक ऐसी स्थिति है जिसमें ग्रहण शक्ति या आंत्र की पकड़ शक्ति खो जाती है। यह कुअवशोषण का कारण बनता है और पाखाना ढीला और झागदार हो जाता है। आमाशय में पीड़ा हो सकता है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में, ग्रहणी बीमारी के उपचार के लिए ऐसी औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है जो हाज़मा शक्ति और आत्मसात को बढ़ाती हैं।

नृपतिबल्लभ रसी की मटेरियल

  • जूस (परदा) शुद्ध ( pure ):
  • Gandhaka shuddha 
  • Lauha bhasma 
  • ताम्र भस्म
  • Abhraka bhasma 
  • Lauha bhasma 
  • Tanka shuddha (Tankana) 
  • Jatiphala
  • लवंगा
  • अब्दा (काला)
  • हिंगु
  • Tvak
  • Ela (Sukshmaila)
  • Tejapatra
  • अजाजी (श्वेता जिराका)
  • Yamani (Yavani)
  • विश्वा (शुंथि)
  • सैंधव लवना
  • मारीच
  • Dhatri svarasa (Amalaki)

नृपतिबल्लभ रसो के इशारा

इसका इस्तेमाल अनेक तरह के बिमारियों में किया जाता है -

ज्वर

चर्म बीमारी

सरदर्द

आमाशय में दाह

कुअवशोषण सिंड्रोम ( syndrome )

जलोदर

आमाशय की गांठ

आंत्रशोथ

अमा कंडीशन

तिल्ली का बढ़ना

जानूडिस

खट्टी ( sour ) डकार ( belching )

प्रोस्टेट के तंतुओं में असाधारण वृद्धि

यकृत ( liver ) के बीमारी

एंजाइना पेक्टोरिस

पीठ ( back ) के निम्न हिस्से में पीड़ा

साइटिका

कोलिकी पीड़ा

श्रोणि पीड़ा

कोष्ठबद्धता ( constipation )

कफ

दमा

आमवात

फाइलेरिया

शोफ

फोडा

गण्डमाला

सरवाइकल लिम्फ डेनाइटिस

बदहजमी

साइटिका

कृमिरोग

टैनिआसिस

गाउट

नासूर

उपदंश

डायरिया

अर्श

पेशाब डिसऑर्डर

पुराना ज्वर

डिप्रेशन

आलस्य

मस्तिष्क का घुमेरी ( dizziness )

दाह की अनुभूति

rhinitis

पित्ती

गंभीर विषाक्तता

ब्लीडिंग डिसऑर्डर

जांघ की मांसपेशियों ( muscles ) की हार्डनेस

दंत बीमारी

एनोरेक्सिया

तृष्णा

नृपतिबल्लभ रसो की डोज़

एक या दो टेबलेट्स ( tablets ), दिन में एक या दो बार, आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार। इसे पारंपरिक रूप से काली मिर्च पाउडर के साथ दिया जाता है।

नृपतिबल्लभ रसो की सतर्कता

  • इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें वजनी धातु मटेरियल होती है।
  • इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
  • ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
  • प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
  • शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
  • सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।