सोरायसिस और रूखी स्किन
कारण
- फैमिली के हिस्ट्री
- वायरल ( viral ) / बैक्टीरियल ( bacterial ) इनफ़ेक्शन
- तनाव
- मोटापा
- दबा बीमारी प्रतिरोधक योग्यता
- चिंता ( anxiety ) रिलेटिव डिसऑर्डर
लक्षण
- स्किन के लाल धब्बे
- खारिश
- स्किन में दाह या पीड़ा होना
- जॉइंट्स का पीड़ा
- अस्थियों में अकड़न
- किनारों से स्किन का कसाव
रैश/खारिश/अर्टिकेरिया/पित्ती
कारण
- पराग धूल और धूप से एलर्जी ( allergy ) की रिएक्शन
- चिंता ( anxiety )
- तनाव
- घबराहट या बेचैनी
- खाने से एलर्जी ( allergy )
- कीट डंक
लक्षण
- स्किन पर लाल धब्बे
- स्किन पर उभरे हुए धब्बों की खारिश
- धब्बों का जलना
- स्वेलिंग वाली जगह पर पीड़ा
- आकुलता ( बेचैनी )
- चिड़चिड़ाहट
मुंहासे और फुंसियां
कारण
- यौवन/किशोरावस्था के दौरान हार्मोनल ( hormonal ) परिवर्तन
- ऑयली स्किन या चेहरे पर सीबम का ज्यादा डिस्चार्ज होना
- बहुत भावनात्मक तनाव
- प्रदूषण के कांटेक्ट में
- माहवार धर्म के दौरान हर माह
- उष्ण और आर्द्र जलवायु
- मुहांसों को निचोड़ना
लक्षण
- चेहरे पर मुंहासे, गाल, गर्दन ( neck ), शोल्डर, पीठ ( back ),
- स्किन बीमारी जिसके फलतः व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स, पिंपल्स, सिस्ट नोड्यूल्स
- पीड़ा और मवाद के साथ लाल अल्सर
- ऑयली और ऑयली स्किन
Name | देहलवी नीम कैप्सूल (60caps) |
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Brand | Dehlvi |
MRP | ₹ 150 |
Category | यूनानी ट्रीटमेंट ( treatment ), औषधियां |
Sizes | 60कैप्स |
Prescription Required | No |
Length | 3.5 सेंटिमीटर |
Width | 3.5 सेंटिमीटर |
Height | 8 सेंटिमीटर |
Weight | 40 ग्राम |
Diseases | सोरायसिस और रूखी स्किन, रैश/खारिश/अर्टिकेरिया/पित्ती, मुंहासे और फुंसियां |
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नीम कैप्सूल के बारे में
नीम के इलाज गुणों के बारे में इंडियंस को प्राचीन काल से ही जानकारी है। आरंभिक संस्कृत ट्रीटमेंट ( treatment ) लेखन में नीम के फल, बीज, तेल, पत्ते, जड़ और छाल के फायदों का उल्लेख है। इनमें से हर एक का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और यूनानी ट्रीटमेंट ( treatment ) पद्धतियों में किया गया है। नीम अनेक असाध्य बिमारियों का उपाय प्रोवाइड करता है। यह कड़वा, परिवर्तनकारी, एंटीफंगल ( antifungal ) और जीवाणुरोधी है। हर्बल इस्तेमाल में सबसे शक्तिशाली ब्लड शोधक और डिटॉक्सिफायर में से एक, नीम का इस्तेमाल बार बार नीरोग स्किन को बनाए रखने के लिए किया जाता है। परंपरागत रूप से नीम का इस्तेमाल गरमी-दाने, मुंहासे, फुंसी, स्किन के त्रुटि, फोड़े, ज़ख्म, कुष्ठ बीमारी, स्किन डिसऑर्डर, ल्यूकोडर्मा, आमाशय के अल्सर ( ulcer ), चिकन पॉक्स आदि के विरुद्ध किया जाता है। इसके परिवर्तनकारी गुण ब्लड को साफ, शुद्ध ( pure ) और विषहरण करने में सहायता करते हैं। जॉन्डिस जैसे यकृत ( liver ) की स्थिति में भी एक स्पेशल प्रभाव ( effect ) के साथ देखा जाता है। मैक्रोफेज की प्रभावशीलता ( effectiveness ) के बूस्टर के रूप में नीम की इम्युनिटी वृद्धि गुणों के लिए बहुत सारे वैज्ञानिक बैकअप हैं। वैज्ञानिक अध्ययनों से इशारा मिलता है कि नीम इनफ़ेक्शन और बॉडी ( body ) की इम्युनिटी के लिए और चुनौतियों का उत्तर देने के लिए लिम्फोसाइट कोशिकाओं को एक्टिव करके इम्युनिटी पद्धति को बढ़ाता है। आधुनिक शोध भी अनेक रोगों के केस में नीम की उपचारात्मक शक्तियों की कन्फर्मेशन करता है और इशारा देता है कि भविष्य ( future ) में नीम का ज्यादा विस्तृत रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कम करता है।
नीम कैप्सूल के इशारा
पिम्पल्स, ब्लड की अशुद्धियाँ, फोड़े, डायबिटीज, एक्जिमा या दाद, हीट रैश, आंतों के कीड़े, जॉन्डिस, कुष्ठ, ल्यूकोडर्मा, मलेरिया ज्वर, कम इम्युनिटी के कारण निरन्तर इनफ़ेक्शन, फुंसी, स्किन के धब्बे और घाव।
नीम कैप्सूल की मटेरियल
मेलिया अज़ादिराछा सूखा अर्क (10:1) (पर्वत-ए-नीम) 250 मिलीग्राम।
नीम कैप्सूल की डोज़
1 कैप्सूल दिन में दो बार आहार ( food ) के बाद जल के साथ लें।
नीम कैप्सूल की सतर्कता
- शिशुओं की पहुंच से दूर रखें।
- औषधि की ज्यादा डोज़ न लें।
- स्व-औषधि की सिफारिश नहीं की जाती है।
- सूखी और ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।
- हर इस्तेमाल के बाद औषधि की टोपी को कसकर बंद कर दें।
- औषधि को मूल पैकेज और पात्र ( container ) में रखें।