Dhootapapeshwar Arogyavardhini Vati (50tab)

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Dhootapapeshwar Arogyavardhini Vati (50tab)

सोरायसिस और रूखी स्किन

कारण

  • फैमिली के हिस्ट्री
  • वायरल ( viral ) / बैक्टीरियल ( bacterial ) इनफ़ेक्शन
  • तनाव
  • मोटापा
  • दबा बीमारी प्रतिरोधक योग्यता
  • चिंता ( anxiety ) रिलेटिव डिसऑर्डर

लक्षण

  • स्किन के लाल धब्बे
  • खारिश
  • स्किन में दाह या पीड़ा होना
  • जॉइंट्स का पीड़ा
  • अस्थियों में अकड़न
  • किनारों से स्किन का कसाव

रैश/खारिश/अर्टिकेरिया/पित्ती

कारण

  • पराग धूल और धूप से एलर्जी ( allergy ) की रिएक्शन
  • चिंता ( anxiety )
  • तनाव
  • घबराहट या बेचैनी
  • खाने से एलर्जी ( allergy )
  • कीट डंक

लक्षण

  • स्किन पर लाल धब्बे
  • स्किन पर उभरे हुए धब्बों की खारिश
  • धब्बों का जलना
  • स्वेलिंग वाली जगह पर पीड़ा
  • आकुलता ( बेचैनी )
  • चिड़चिड़ाहट

बदहजमी/अम्ल/गैस

कारण

  • खा
  • चिंता ( anxiety )
  • लगातार व्रत
  • मसालों से भरा आहार ( food ) का ज्यादा सेवन
  • पीड़ा निरोधक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) अम्लता ( खट्टापन ) का कारण बन सकते हैं

लक्षण

  • ऊपरी आमाशय में आकुलता ( बेचैनी )
  • आमाशय पीड़ा और परिपूर्णता की मनोवृत्ति
  • उल्टी
  • मतली के एपिसोड
  • स्वेलिंग की अनुभूति

मोटापा

कारण

  • पारिवारिक जीवन शैली और आनुवंशिक कारण
  • थायरॉइड ( thyroid ) से रिलेटेड प्रोब्लेम्स
  • स्त्रियों में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि बीमारी
  • गतिहीन लत ( habit ) जैसे पर्यावरणीय कारक
  • बहुत आहार ( food ) (बुलिमिया)

लक्षण

  • सांस लेने में मुसीबत
  • ज्यादा भार के कारण चलने में मुसीबत
  • मांसपेशियों ( muscles ) और सब के सब जॉइंट्स के पीड़ा
  • भार बढ़ने से हृदय की समस्या

Nameधूतपापेश्वर आरोग्यवर्धिनी वटी (50 टैब)
BrandDhootapapeshwar
MRP₹ 180
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर
Sizes50टैब
Prescription RequiredNo
Length4 सेंटिमीटर
Width4 सेंटिमीटर
Height7 सेंटिमीटर
Weight30 ग्राम
Diseasesसोरायसिस और रूखी स्किन, रैश/खारिश/अर्टिकेरिया/पित्ती, बदहजमी/अम्ल/गैस, मोटापा

धूप्तपेश्वर आरोग्यवर्धिनी वाटिक के बारे में

धूप्तपेश्वर की स्थापना स्वतंत्रता पूर्व महाराष्ट्र राज्य में हुई थी। इसने स्वत: को आयुर्वेद ( ayurveda ) मार्किट में एक अद्वितीय उत्पाद ( product ) के रूप में आधारित किया है। गठन के हर एक पड़ाव में उन्नत फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के साधन से बैच से बैच प्रदर्शन और पूर्ण शुद्धता और सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता है। हर्बल सेहत देखरेख प्रोडक्ट्स के डिजाइन, गठन और विपणन के लिए आईएसओ 9001: 2000 प्रमाणन प्रोवाइड किया गया। धूप्तपेश्वर फार्मास्युटिकल-श्रेणी आयुर्वेद ( ayurveda ) उत्पाद ( product ) बनाने के लिए आधुनिक विज्ञान के उपकरणों का इस्तेमाल करता है। आज, इन प्रोडक्ट्स को ट्रीटमेंट ( treatment ) बिरादरी के साथ स्वीकृति मिली है और वैश्विक बाजारों में उपभोक्ताओं की सेहत और निजी देखरेख की जरूरतों को पूरा करते हैं।

आरोग्यवर्धिनी वटी (जिसे आरोग्यवर्धिनी गुटिका जूस के नाम से भी जाना जाता है) एक आयुर्वेदिक हर्बल खनिज सूत्रीकरण है। यह करीब-करीब सब के सब तरह की रोगों के लिए कारगर इलाज है। यह हार्ट, आमाशय, लीवर ( liver ), आंत्र, तिल्ली, पित्ताशय, स्किन, दांत और मसूड़ों के बिमारियों में सहायक है। आरोग्यवर्धिनी वटी थायरॉइड ( thyroid ) विकृतियों, मोटापा, डायबिटीज, किसी अंतर्निहित कारण से स्वेलिंग, सोरायसिस आदि में भी मददगार है।

मटेरियल की आरोग्यवर्धिनी वटी

  • पिक्रोरिज़ा कुरोआ (कुटकी)
  • शुद्ध ( pure ) गुग्गुलु
  • प्लंबैगो ज़ेलानिका (चित्रक)
  • शिलाजीत (शुद्ध ( pure ) डामर)
  • Emblica officinalis (आंवला, इंडियन आंवला)
  • टर्मिनलिया बेल्लिरिका (बिभीतकी)
  • टर्मिनलिया चेबुला (हरिताकी)
  • पारद शुद्ध ( pure ) (शुद्ध ( pure ) पारद)
  • शुद्ध ( pure ) गंधक (शुद्ध ( pure ) गंधक)
  • Loha Bhasma (Lauh Bhasma)
  • ताम्र भस्म

धूप्तपेश्वर आरोग्यवर्धिनी वटी के इशारा

आरोग्यवर्धिनी वटी निम्नलिखित सेहत परिस्थितियों में मददगार है।

  • हाई कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) का स्तर
  • atherosclerosis
  • पुराना कोष्ठबद्धता ( constipation )
  • हेपेटाइटिस
  • पित्ताशय की थैली की स्वेलिंग
  • गैस या आमाशय फूलना
  • स्वेलिंग
  • उदर विस्तार
  • खारिश
  • खारिश
  • सोरायसिस
  • पित्ती
  • pyorrhea

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदा और मेडिसिनल इस्तेमाल

आरोग्यवर्धिनी वटी प्रमुख रूप से हाज़मा तंत्र पर काम करती है। आयुर्वेद ( ayurveda ) का मानना ​​है कि सही हाज़मा सेहत का प्रमुख घटक है। अगर हाज़मा क्रिया बुरा हो जाए तो यह बॉडी ( body ) में अनेक तरह की रोगों को जन्म देता है। आम तौर पर, बुरा हाज़मा बॉडी ( body ) में ज्यादा विषाक्त पदार्थों (एएमए) के कुअवशोषण और उत्पत्ति का कारण बन सकता है, जो अंततः अनेक तरह के विकृतियों का कारण बनता है। दूसरा कारण कोष्ठबद्धता ( constipation ) है। कोष्ठबद्धता ( constipation ) भी बॉडी ( body ) में अनेक रोगों की जड़ है। आरोग्यवर्धिनी वटी दोनों पर काम करती है। यह हाज़मा में इम्प्रूवमेंट करता है और बॉडी ( body ) में चयापचय गतिविधियों को ठीक करता है। यह कोष्ठबद्धता ( constipation ) को भी दूर करता है और बिमारियों से बचाता है।

हृदय के बीमारी

आरोग्यवर्धिनी वटी जिगर ( liver ) के कार्यों में इम्प्रूवमेंट करके कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) के स्तर को कम करती है। यह ब्लड वाहिकाओं में पट्टिका के जमाव को भी रोकता है। यह एथेरोस्क्लेरोसिस (ब्लड वाहिकाओं का सख्त होना) को भी रोकता है। इस तरह, यह हाई कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) के स्तर और हार्ट बिमारियों के पेशेन्ट्स ( patient ) की सहायता करता है। यद्यपि, हाई ब्लड प्रेशर को कम करने पर इसका सीधा प्रभाव ( effect ) नहीं हो सकता है, लेकिन यह ब्लड वाहिकाओं में लिपिड को कम करता है और कभी-कभी, हाई कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) के स्तर और एथेरोस्क्लेरोसिस हाई ब्लड प्रेशर के प्रमुख कारण होते हैं। यह धीरे-धीरे काम करता है और इसके साथ 3 से 4 माह की नित्य ट्रीटमेंट ( treatment ) के बाद ही इसकी क्रिया प्रकट हो सकती है। हाई ब्लड प्रेशर वाले कुछ पेशेन्ट्स ( patient ) में निम्नलिखित लक्षण ( symptom ) होते हैं।

  • नेत्रों में लालिमा
  • सरदर्द
  • अनिद्रा ( insomnia )
  • नेत्रों के आस-पास पीड़ा
  • आकुलता ( बेचैनी )
  • कोष्ठबद्धता ( constipation )

पुराना कोष्ठबद्धता ( constipation )

प्राचीन विद्वानों ने असली में कोष्ठबद्धता ( constipation ) पर काम करने के लिए आरोग्यवर्धिनी वटी का सूत्र तैयार किया था। वैसे तो यह हर तरह के कोष्ठबद्धता ( constipation ) में लाभदायक होता है, लेकिन यह प्रमुख रूप से क्रॉनिक ( chronic ) टाइप में बढ़िया काम करता है। क्रोनिक कोष्ठबद्धता ( constipation ) में इसके निम्नलिखित काम हैं।

  • यह शिलाजीत और इसमें उपस्थित और मिनरल्स के कारण आंतों को ताकत प्रोवाइड करता है।
  • यह लीवर ( liver ) से पित्त के डिस्चार्ज को उत्तेजित ( excited ) करता है और पित्त आंत्र की क्रमाकुंचन चाल में इम्प्रूवमेंट करता है, जो अंततः आंतों से पाखाना को बड़ी आंत्र के निम्न सिरे तक ले जाने में सहायता करता है।
  • यह पाखाना को नरम करता है और कठोर पाखाना आयोजन को कम करता है।
  • यह आंतों की दीवारों पर पाखाना की बहुत चिपचिपाहट या चर्बी को कम करता है, जिससे पाखाना की चाल में सुगमता होती है।
  • यह हाज़मा में इम्प्रूवमेंट करता है और बॉडी ( body ) में पुष्टिकारक तत्वों के सही समावेश की सुगमता प्रोवाइड करता है।

यकृत ( liver ) डिसऑर्डर और हेपेटाइटिस

आरोग्यवर्धिनी वटी आमतौर पर निम्नलिखित यकृत ( liver ) की परिस्थितियों के लिए बढ़िया है।

  • जॉन्डिस
  • फैटी ( fatty ) जिगर ( liver ) सिंड्रोम ( syndrome )
  • यकृत ( liver ) की रोग से जुड़ी सूजन
  • यकृत ( liver ) की स्वेलिंग रिलेटिव बीमारियां
  • वायरल ( viral ) हेपेटाइटिस
  • शराबी हेपेटाइटिस

भूख और बदहजमी में अभाव

आरोग्यवर्धिनी वटी में चिरक जड़ी बूटी और लंबी काली मिर्च होती है, जो भूख बढ़ाती है और बदहजमी को कम करती है।

गैस, आमाशय फूलना और स्वेलिंग

आरोग्यवर्धिनी वटी में उपस्थित जड़ी-बूटियों में आमाशय फूलने की क्रिया होती है और यह भोजन नाल में गैस बनने को कम करती है। इसलिए, आरोग्यवर्धिनी वटी आंतों की गैस, आमाशय फूलना, स्वेलिंग और आमाशय की दूरी को कम करती है।

धूप्तपेश्वर आरोग्यवर्धिनी वटी की डोज़

आरोग्यवर्धिनी वटी की डोज़ 250 मिलीग्राम ( mg ) से 1000 ग्राम तक दिन में दो या तीन बार अलग होती है। आरोग्यवर्धिनी वटी की ज़्यादा से ज़्यादा डोज़ प्रति दिन 3 ग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

धूप्तपेश्वर आरोग्यवर्धिनी वटी में सतर्कता

बिमारियों में त्रुटि (हास्य) की भागीदारी के नासमझी से इस्तेमाल और गलत पृथक्करण ( analysis ) से दुष्प्रभाव ( side effect ) हो सकते हैं। आपको स्मरण रखना चाहिए कि आरोग्यवर्धिनी वटी वात हास्य और कफ, बलगम हास्य में बढ़िया काम करती है। इसका इस्तेमाल कफ, बलगम हास्य के प्रभुत्व से जुड़े समा पित्त या पित्त के केस में भी किया जा सकता है। यह निरमा पित्त के निम्नलिखित लक्षणों को और बुरा कर सकता है।

  • दाह (लेकिन अगर कफ, बलगम प्रबल है या एएमए पित्त से जुड़ा है, तो आरोग्यवर्धिनी वटी सहायक हो सकती है, वरना यह contraindicated है।)
  • मुँह में अल्सर (केवल लालिमा, दाह और तेज पीड़ा के साथ सूजे हुए अल्सर ( ulcer ) के केस में)
  • ब्लीडिंग बढ़ाएँ (बहुत विरला ( rare ))
  • घुमेरी ( dizziness ) आना (बहुत विरला ( rare ))

तथापि, आरोग्यवर्धिनी वटी स्वयं इन दुष्प्रभावों का कारण नहीं है, लेकिन इन सेहत परिस्थितियों में इसे contraindicated है क्योंकि यह इन लक्षणों को बुरा कर सकता है।

प्रेग्नेंसी ( pregnency ) में आरोग्यवर्धिनी वटी के असुरक्षित होने की अनुमान है। इसलिए, अनेक सुरक्षित ऑप्शन ( option ) उपलब्ध हैं, इसलिए आपको प्रेग्नेंसी ( pregnency ) में कभी भी आरोग्यवर्धिनी वटी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। स्तनपान ( breastfeeding ) के लिए सुरक्षा प्रोफ़ाइल उपलब्ध नहीं है, इसलिए आपको सुरक्षित रहना चाहिए और स्तनपान ( breastfeeding ) की अवधि के दौरान आरोग्यवर्धिनी वटी का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। औषधि नहीं लेनी चाहिए गुर्दे की रोग के दौरान।