एलर्जी ( allergy ) रिनिथिस
कारण
- वसंत और पतझड़ के ऋतु में मौसमी एलर्जी ( allergy )
- पराग की तरह बाहरी एलर्जेंस
- दमा या एटोपिक एक्जिमा या दाद होने से आपका ख़तरा बढ़ जाता है
- सिगरेट के धुएं के केमिकल
- शीतल टेंपेरेचर ( temperature ) आर्द्र वायु
- प्रदूषण और ताकतवर इत्र स्मेल
लक्षण
- छींक ( sneeze ) आना
- बहती नाक
- बंद नाक
- बेचैन नाक
- कंठनली में खराश या खरोंच वाली खाँसी ( cough )
- नेत्रों के नीचे काले घेरे के साथ खारिश वाली जल वाली आंखें
- बार-बार सरदर्द
- बहुत थकान
कफ
कारण
- विषाणुजनित इनफ़ेक्शन
- प्रदूषकों के कांटेक्ट और एलर्जी ( allergy ) की रिएक्शन
- फेफड़ों के जीर्ण बीमारी
- दाह या कंठनली में इनफ़ेक्शन
- शीत और फ्लू ( flu )
- एलर्जिक राइनाइटिस और साइनोसाइटिस
- हृदय से रिलेटेड वेंट्रिकल या वाल्व की समस्या
लक्षण
- कफ, बलगम के साथ खाँसी ( cough ) या सूखी खाँसी ( cough )
- खांसते अवधि ( समय ) छाती में पीड़ा
- दाह के साथ कंठनली का लाल होना
- सांस लेने में कष्ट
- निरन्तर गला साफ करना
- खांसने के कारण आमाशय में पीड़ा
ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ )
कारण
- स्मोकिंग
- वायु प्रदूषकों की ब्रीथिंग लेना (धूल या जहरीली गैसें)
- फेफड़ों का इनफ़ेक्शन
- कम इम्युनिटी
- ताकतवर एसिड के लिए व्यावसायिक ख़तरा
लक्षण
- कफ, बलगम के साथ कफ
- साँसों की अभाव
- हल्का ज्वर और शीत लगना
- हल्का सरदर्द या बॉडी ( body ) में पीड़ा
- उत्पादक कफ जो महीनों ( कई माह ) तक रहती है
- थकान और छाती में कष्ट
दमा
कारण
- एक एलर्जेन, अड़चन के कांटेक्ट में। वायु में प्रदूषक
- तनाव
- बार-बार प्रतिश्याय ( जुकाम ) जो छाती में बस जाता है
- बारम्बार होनेवाला शीत और कफ का हिस्ट्री एलर्जिक राइनाइटिस
- आनुवंशिक पूर्व स्वभाव के साथ पारिवारिक हिस्ट्री
लक्षण
- कसरत के दौरान लेटते अवधि ( समय ) या हंसते अवधि ( समय ) रात्रि में खाँसी ( cough )
- छाती में अकड़न के साथ सांस लेने में कष्ट
- साँसों की अभाव
- सांस लेते अवधि ( समय ) आवाज के साथ घरघराहट
- कफ, बलगम के साथ सूखी या खाँसी ( cough )
Name | Dhootapapeshwar Laxmivilas Gutika (20tab) |
---|---|
Brand | Dhootapapeshwar |
MRP | ₹ 103 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), वटी, गुटिका और गुग्गुलु |
Sizes | 20टैब |
Prescription Required | No |
Length | 0 सेंटिमीटर |
Width | 0 सेंटिमीटर |
Height | 0 सेंटिमीटर |
Weight | 0 ग्राम |
Diseases | एलर्जी ( allergy ) रिनिथिस, कफ, ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ ), दमा |
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लक्ष्मीविलास गुटिका के बारे में
लक्ष्मीविलास गुटिका एक जड़ी-बूटी वाली आयुर्वेदिक दवा है। लक्ष्मी विलास जूस, एक केमिकल है और भिन्न-भिन्न तरह के बिमारियों जैसे स्किन बिमारियों, सब के सब तरह के प्रमेह, ज़ख्म, पाईल्स ( बवासीर ), फिस्टुला, फाइलेरिया, सब के सब तरह के कफ, बलगम बीमारी के ट्रीटमेंट ( treatment ) में सहायक है। ब्रेन, मुँह और लैंगिक ( genital ) विकार। यह एक रास आषाढ़ी है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में बुध को जूस के रूप में जाना जाता है और शुद्ध ( pure ) पारा, शुद्ध ( pure ) सल्फर, भस्म आदि का इस्तेमाल करके तैयार की जाने वाली औषधियों को रास दवा (मर्क्यूरियल तैयारी) के नाम से जाना जाता है। पारा, पारद, जूस या पारा एक वजनी धातु है जो कमरे के टेंपेरेचर ( temperature ) पर द्रव रहती है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेद ( ayurveda ) में शास्त्रीय आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुरूप ( accordingly ) सही विषहरण के बाद ही किया जाता है। पारद अपने शक्तिशाली मेडिसिनल गुणों के कारण अनेक औषधियों का घटक है। यह वात, पित्त और कफ, बलगम को बैलेंस्ड करता है। जूस आषाढ़ी (पारद युक्त दवा) शीघ्र काम करने वाली होती है। वे पूरे बॉडी ( body ) का आहार-पोषण करते हैं और इसमें टॉनिक, कामोद्दीपक, कायाकल्प करने वाला, बुढ़ापा रोधी, ज़ख्म भरने वाला और रोगाणुरोधी प्रभाव ( effect ) होता है। पारद के योगवाही गुण के कारण और मेडिसिनल अवयवों के साथ पारा का सम्मिश्रण औषधि की इलाज प्रभावकारिता को बढ़ाता है। जूस दवा / दवा की तैयारी में सबसे पहले शुद्ध ( pure ) पारद और गंधक से कज्जली बनाई जाती है। चूंकि इन औषधियों में वजनी धातुएं होती हैं, इसलिए इन्हें चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन ( prescription ) की औषधियों के रूप में लेना अच्छा होता है। लक्ष्मीविलास गुटिका में डिटॉक्सिफाइड खनिज-धातु, भांग के बीज, धतूरा के बीज होते हैं और इसलिए इस औषधि को औषधीय निगरानी में रिकमंडेड डोज़ में लेने की परामर्श दी जाती है।
लक्ष्मीविलास गुटिका की मटेरियल
- कज्जलि
- Hartal
- Kharpar Bhasma
- बैंग भस्म
- ताम्र भस्म
- Abhrak Bhasma
- कांत लौह भस्म
- Kansya Bhasma
लक्ष्मीविलास गुटिका के फायदा
- यह एक विस्तृत स्पेक्ट्रम औषधि है।
- यह एक केमिकल है (कायाकल्प करने वाला टॉनिक, सब के सब धातुओं को आहार-पोषण देता है और ओजस बनाता है)।
- इसमें ज्वरनाशक, कामोत्तेजक, कफ, बलगम निस्सारक, रोगाणुरोधक और आमाशय रिलेटिव गतिविधियां हैं।
- यह सब के सब तरह के ज्वर को ठीक करता है।
- यह किसी भी तरह की कफ, दमा, कोरिजा, साइनोसाइटिस, कफ के कारण ज्वर, फेफड़ों में पीड़ा, फेफड़ों में स्वेलिंग, कंजेशन, निमोनिया ( pneumonia ), पुराने ( chronic ) साइनसिसिटिस, इन्फ्लूएंजा आदि के उपचार के लिए एक उत्कृष्ट औषधि है।
- यह सब के सब बीस तरह के प्रमेहों में सहायक है।
- इसमें कामोत्तेजक गुण होते हैं और कामेच्छा को बढ़ाता है।
- यह शीघ्रपतन और शुक्राणु विकृतियों में लाभकारी है।
- यह हृदय को ताकत देता है।
- यह मस्तिष्क, स्किन और जननांग-पेशाब पद्धति के भिन्न-भिन्न बिमारियों को ठीक करता है।
- यह हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) के स्तर में इम्प्रूवमेंट करता है, शक्ति और आहार-पोषण देता है, और बिमारियों को ठीक करता है।
- यह कम कामेच्छा, वीर्यपात, नपुंसकता और लैंगिक ( genital ) कमजोरी में सहायक है।
लक्ष्मीविलास गुटिका के इशारा
- उदारा (आमाशय के बीमारी/आमाशय का बढ़ना)
- प्रमेह (पेशाब डिसऑर्डर)
- Dhatu Kshaya (Tissue wasting)
- उर्ध्वंगा बीमारी (मस्तिष्क और ब्रेन के डिसऑर्डर)
- गुडा रोगा (एनोरेक्टल बीमारी)
- भगंदरा (फिस्टुला-इन-एनो)
- नादिवराना (फिस्टुला)
- कुष्ठ (स्किन के बीमारी)
- कौवा (अल्सर ( ulcer ))
- सब के सब तरह की शिलिपदा (फाइलेरिया)
- गला शोष (कंठनली में खुश्की)
- कासा (कफ)
- यक्ष्मा (क्षय बीमारी)
- पिनासा (पुराने ( chronic ) राइनाइटिस/साइनोसाइटिस)
- Antra Vriddhi (Hernia)
- अतिसार (डायरिया)
- Amavata (Rheumatism)
- ग्लोसल पाल्सी
- गटकने ( निगलने ) में मुसीबत
- मुँह कान ( ear ) नाक और नेत्रों के डिसऑर्डर
- अर्शा (पाईल्स ( बवासीर ))
- स्थौल्या (मोटापा)
लक्ष्मीविलास गुटिका की डोज़
एक या दो टैबलेट ( tablet ) दिन में एक या दो बार, आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार। इसे पारंपरिक रूप से छाछ, मांस, मिल्क, दही, मदिरा (सुरा) और फलों के जूस के साथ दिया जाता है।
लक्ष्मीविलास गुटिका की सतर्कता
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है।
- इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
- ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
- शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
- सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।