Kerala Ayurveda Triphala Choornam (50g)

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Kerala Ayurveda Triphala Choornam (50g)

मुंहासे और फुंसियां

कारण

  • यौवन/किशोरावस्था के दौरान हार्मोनल ( hormonal ) परिवर्तन
  • ऑयली स्किन या चेहरे पर सीबम का ज्यादा डिस्चार्ज होना
  • बहुत भावनात्मक तनाव
  • प्रदूषण के कांटेक्ट में
  • माहवार धर्म के दौरान हर माह
  • उष्ण और आर्द्र जलवायु
  • मुहांसों को निचोड़ना

लक्षण

  • चेहरे पर मुंहासे, गाल, गर्दन ( neck ), शोल्डर, पीठ ( back ),
  • स्किन बीमारी जिसके फलतः व्हाइटहेड्स, ब्लैकहेड्स, पिंपल्स, सिस्ट नोड्यूल्स
  • पीड़ा और मवाद के साथ लाल अल्सर
  • ऑयली और ऑयली स्किन

बाल झड़ना

कारण

  • भावनात्मक और दैहिक तनाव
  • प्रोटीन, बायोटिन और विटामिन ( vitamin ) जैसे अनिवार्य पुष्टिकारक तत्वों की अभाव
  • स्मोकिंग की एडिक्शन ( लत )
  • अनुचित बाल सफ़ाई
  • हार्मोनल ( hormonal ) इम्बैलेंस ( असंतुलन )
  • थाइरोइड
  • कम हीमोग्लोबिन ( hemoglobin )
  • वंशानुगत और आनुवंशिक पूर्व स्वभाव
  • आयु बढ़ने
  • अनेक मेडिसिन और कीमो थेरेपी ( therapy )

लक्षण

  • गुच्छों में बालों ( hair ) का झड़ना
  • बालों ( hair ) का पतला होना
  • गंजापन या स्थानीय पैच के साथ धब्बे
  • कभी-कभी खारिश

बदहजमी/अम्ल/गैस

कारण

  • खा
  • चिंता ( anxiety )
  • लगातार व्रत
  • मसालों से भरा आहार ( food ) का ज्यादा सेवन
  • पीड़ा निरोधक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) अम्लता ( खट्टापन ) का कारण बन सकते हैं

लक्षण

  • ऊपरी आमाशय में आकुलता ( बेचैनी )
  • आमाशय पीड़ा और परिपूर्णता की मनोवृत्ति
  • उल्टी
  • मतली के एपिसोड
  • स्वेलिंग की अनुभूति

मोटापा

कारण

  • पारिवारिक जीवन शैली और आनुवंशिक कारण
  • थायरॉइड ( thyroid ) से रिलेटेड प्रोब्लेम्स
  • स्त्रियों में पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि बीमारी
  • गतिहीन लत ( habit ) जैसे पर्यावरणीय कारक
  • बहुत आहार ( food ) (बुलिमिया)

लक्षण

  • सांस लेने में मुसीबत
  • ज्यादा भार के कारण चलने में मुसीबत
  • मांसपेशियों ( muscles ) और सब के सब जॉइंट्स के पीड़ा
  • भार बढ़ने से हृदय की समस्या

Nameकेरल आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रिफला चूर्णम (50 ग्राम)
Brandकेरल आयुर्वेद ( ayurveda )
MRP₹ 70
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), चूर्ण, अवलेहा और पाकी
Sizes50 ग्राम
Prescription RequiredNo
Length0 सेंटिमीटर
Width0 सेंटिमीटर
Height0 सेंटिमीटर
Weight0 ग्राम
Diseasesमुंहासे और फुंसियां, बाल झड़ना, बदहजमी/अम्ल/गैस, मोटापा

केरल आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रिफला चूर्णम के बारे में

त्रिफला चूर्णम मूल रूप से त्रिफला का चूर्ण रूप है। बहुत से लोग इसे त्रिफला चूर्ण चूर्ण के रूप में भी पहचानते हैं। त्रिफला के सब के सब लाभकारी गुणों के साथ, यह भिन्न-भिन्न सेहत विकृतियों में फायदा देता है, स्पेशल रूप से हाज़मा तंत्र से संबंधित। इसे हमारे बॉडी ( body ) के सब के सब अंदरूनी अंगों के देखभालकर्ता के रूप में भी जाना जाता है। बहुत से लोग भार घटाने के लिए इस आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करते हैं, क्योंकि यह एक कुशल चयापचय उत्तेजक है।

Ingredients  of Kerala Ayurveda Triphala Choornam

त्रिफला चूर्णम में बिना बीज के भार के बराबर अनुपात में तीन हरड़ (फलों का छिलका) होता है।

  • आंवला (इंडियन आंवला) – Emblica Officinalis सूखे मेवों का गूदा पाउडर
  • बिभीतकी-एर्मिनलिया बेलिरिका सूखे मेवे का गूदा पाउडर
  • हरीतकी-टर्मिनलिया चेबुला सूखे मेवे का गूदा पाउडर

केरल आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रिफला चूर्णम के मेडिसिनल गुण

  • रेचक
  • हल्का एंटासिड
  • एन्टी हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त
  • एन्टी स्वाद ( taste )
  • एन्टी mutagenic
  • एंटीऑक्सिडेंट
  • एन्टी भड़काऊ (हल्का)
  • ज्वरनाशक (हल्का)
  • एनाल्जेसिक (हल्का)
  • जीवाणुरोधी
  • adaptogenic
  • कर्कट ( cancer ) एन्टी
  • कामिनटिव
  • हाज़मा उत्तेजक
  • इमेनगॉग
  • expectorant
  • चिकनाई दाहक
  • हेमेटिनिक (हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) के स्तर को बढ़ाता है)
  • hypoglycemic
  • इम्यूनोमॉड्यूलेटर

केरल आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रिफला चूर्णम के इलाज इशारा

त्रिफला के प्रमुख इशारा

  • भार घटाने (मोटापा)
  • डायबिटीज
  • कोष्ठबद्धता ( constipation )
  • आमाशय फूलना
  • आमाशय फूलना
  • जॉन्डिस
  • मसूढ़े में पीब पड़ने का बीमारी
  • रक्त की अभाव
  • दमा
  • कफ
  • वीर्य में मवाद के कारण पुरुष ( male ) बांझपन (दसमूलारिष्टम के साथ लिया गया)

निरोधक औषधियों में

  • कर्कट ( cancer )
  • साधारण प्रतिश्याय ( जुकाम )
  • बारम्बार होनेवाला इनफ़ेक्शन

केरल आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रिफला चूर्णम के फायदा और मेडिसिनल इस्तेमाल

त्रिफला इम्युनिटी पद्धति को उत्तेजित ( excited ) करता है और इस तरह यह बार-बार होने वाले ऊपरी श्वसन ( respiration ) इनफ़ेक्शन को रोकने में सहायता करता है। यह गैस्ट्रिक ( gastric ) डिस्चार्ज को उत्तेजित ( excited ) करता है और हाज़मा में इम्प्रूवमेंट करता है। रेचक और वायुनाशक क्रिया के कारण त्रिफला चूर्ण कोष्ठबद्धता ( constipation ), आमाशय फूलना, गैस और आमाशय फूलने में सहायता करता है।

भार घटाने के लिए त्रिफला (मोटापा)

त्रिफला एक साधारण तैयारी है, लेकिन यह भार घटाने में जबरदस्त फायदा देता है। यह आंत्र की चर्बी और सेल्युलाईट को कम करता है। त्रिफला चिकनाई चयापचय पर प्रभाव ( effect ) डालता है। यह बॉडी ( body ) में मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त कर फैट बर्निंग को बढ़ाता है। आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुरूप ( accordingly ) मोटे लोगों की हड्डियां दुर्बल होती हैं क्योंकि चिकनाई का चयापचय उचित नहीं होता है। आयुर्वेद ( ayurveda ) के अनुरूप ( accordingly ), बॉडी ( body ) में प्रमुख रूप से सात तरह के धातु होते हैं, जो एक साथ अगला धातु बनाने के लिए उत्तरदायी होते हैं। मिसाल के लिए, जूस धातु (लिम्फ) चयापचय करता है और ब्लड धातु बनाता है। ब्लड धातु (ब्लड) मेटाबोलाइज करता है और मासा धातु (मांसपेशियों ( muscles )) को बनाता है। मासा धातु मेटाबोलाइज करती है और मेधा धातु (चिकनाई) बनाती है। जब मेधा धातु का चयापचय होता है, तो हड्डी धातु का गठन होता है। इस अवधारणा के अनुरूप ( accordingly ), मेधा धातु से मेधा धातु और मेधा धातु से हड्डी धातु के चयापचय में प्रॉब्लम ( problem ) होती है, जो अंततः बॉडी ( body ) में चिकनाई के संचय का कारण बनती है और आपके बॉडी ( body ) को बनाती है। हड्डियाँ कमजोर। हाल के अध्ययनों के अनुरूप ( accordingly ), मोटे लोगों की हड्डियाँ दुर्बल होती हैं, जो मोटे लोगों पर दुर्बल अस्थियों की आयुर्वेदिक अवधारणा का समर्थन ( support ) करती हैं। त्रिफला बॉडी ( body ) में चयापचय के इस चक्र को ठीक करता है, इसलिए यह बॉडी ( body ) के भार को कम करता है। इसके सेवन से हड्डियां भी ताकतवर होती हैं और मोटे लोगों में बोन मिनरल डेंसिटी भी बढ़ती है। इसलिए व्यावहारिक देख-भाल के अनुरूप ( accordingly ) धातु चयापचय के रिलेशन में आयुर्वेद ( ayurveda ) की अवधारणा उचित है। हमने मोटापे से ग्रस्त लोगों में दुर्बल हड्डियां और कम हड्डी खनिज घनत्व भी पाया। त्रिफला से ट्रीटमेंट ( treatment ) करने से आमाशय (आमाशय) की चर्बी कम होने के साथ-साथ हड्डी खनिज घनत्व भी बढ़ता है।

डायबिटीज में त्रिफला का उपयोग

अध्ययनों से यह भी पता चला है कि इसमें हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव ( effect ) होता है, जो इंसुलिन ( insulin ) प्रतिक्रिया पर इसके प्रभाव ( effect ) के कारण हो सकता है। त्रिफला चूर्ण इंसुलिन ( insulin ) को ग्रहण करने के लिए सेलुलर प्रतिक्रिया को कम करता है और कोशिकाओं में इंसुलिन ( insulin ) के सही इस्तेमाल में सहायता करता है। इसलिए, यह डायबिटीज मेलिटस ( mellitus ) के ट्रीटमेंट ( treatment ) में प्रभावशाली हो जाता है।

त्रिफला के एंटीऑक्सीडेंट और इम्युनिटी-उत्तेजक प्रभाव ( effect )

त्रिफला में अनेक फाइटो-केमिकल होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और इम्यूनो-उत्तेजक होते हैं। इन यौगिकों के कारण, त्रिफला पाउडर आयु बढ़ने में देरी, स्किन के सेहत को बनाए रखने, बालों ( hair ) के अवधि ( समय ) से पहले श्वेत होने और बालों ( hair ) के झड़ने को रोकने और बॉडी ( body ) में ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने में प्रभावशाली है। त्रिफला के इम्युनिटी-उत्तेजक प्रभाव ( effect ) एड्स / एचआईवी ( hiv ) पॉजिटिव ( positive ) पेशेन्ट्स ( patient ) में सहायता करते हैं। यह इम्युनिटी में इम्प्रूवमेंट करता है और द्वितीयक इनफ़ेक्शन को रोकता है।

घुमेरी ( dizziness ) या घुमेरी ( dizziness ) आना

घुमेरी ( dizziness ) आना या घुमेरी ( dizziness ) आना कम करने के लिए भी त्रिफला चूर्ण लाभदायक होता है। त्रिफला चूर्ण (2 ग्राम) मधु ( honey ) (1 चम्मच ( spoon )) के साथ लेने से घुमेरी ( dizziness ) आना कम होता है। संजीदा स्थितियों में त्रिफला से ट्रीटमेंट ( treatment ) एक हफ्ते तक जारी रखना चाहिए।

कोष्ठबद्धता ( constipation ) में त्रिफला

त्रिफला कोष्ठबद्धता ( constipation ) के लिए एक आम घरेलू इलाज है। इसमें हल्की रेचक क्रिया होती है। यह कठोर पाखाना को ढीला करता है और पाखाना त्याग को सरल बनाता है। और जुलाब के विपरीत, त्रिफला चूर्ण गैर-लत ( habit ) बनाने वाला रेचक है। यह हल्के से मीडियम कोष्ठबद्धता ( constipation ) वाले लोगों के लिए लाभदायक है।

हाई कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) और ट्राइग्लिसराइड्स

त्रिफला में जरूरी लिपिड-प्रोफाइल मॉडुलन क्रिया है। त्रिफला चूर्ण के साथ कुछ सप्ताहों की ट्रीटमेंट ( treatment ) के बाद कुल सीरम कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) में उल्लेखनीय अभाव देखी जा सकती है। यह ब्लड में कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को भी कम करता है।

नजर और मोतियाबिंद के लिए त्रिफला

त्रिफला में मोतियाबिंद रोधी योग्यता है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में, अनेक ग्रंथों में वर्णित है कि यह नजर में इम्प्रूवमेंट करता है और मोतियाबिंद और और आँख बिमारियों की प्रवृत्ति को कम करता है। कुछ अध्ययनों ने त्रिफला के इन परिणामों का भी प्रदर्शन किया है। आँख विकृतियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सप्तमृत लौह में यष्टिमधु (लीकोरिस) और लौह भस्म के अतिरिक्त त्रिफला होता है। त्रिफला घृत क्लेरिफाइड बटर (घी) और त्रिफला पाउडर से तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल आँख बिमारियों के लिए और नजर में इम्प्रूवमेंट और चश्मे की जरूरत को कम करने के लिए भी किया जाता है।

त्रिफला केमिकल

आयुर्वेद ( ayurveda ) में केमिकल ट्रीटमेंट ( treatment ) का स्पेशल महत्व है। त्रिफला केमिकल औषधियों में से एक है, जो बॉडी ( body ) में कायाकल्प क्रिया करती है। त्रिफला असली में बॉडी ( body ) के हर अंग पर काम करता है, रुकावट को कम करता है और हर अंग के नेचुरल कार्यों को बहाल करता है। यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और रोगों की प्रवृत्ति को कम करता है।

केरल आयुर्वेद ( ayurveda ) की डोज़ त्रिफला चूर्णम

बच्चे (6 माह तक) - आमतौर पर रिकमंडेड नहीं बच्चे (6 -12 माह) -500 मिलीग्राम ( mg ) या 1 ग्राम शिशु (उम्र: 1 - 3 साल) -750 मिलीग्राम ( mg ) या 1.5 ग्राम प्रीस्कूलर (3 - 5 साल) -1000 मिलीग्राम ( mg ) या 2 ग्राम श्रेणी -स्कूली (5 - 12 साल) -1500 मिलीग्राम ( mg ) या 3 ग्राम किशोरी (13 -19 साल) -2 ग्राम या 4 ग्राम वयस्क (19 से 60 साल) -3 ग्राम या 6 ग्राम जराचिकित्सा (60 साल से ऊपर) -3 ग्राम या 6 ग्राम प्रेग्नेंसी ( pregnency )- रिकमंडेड नहीं स्तनपान ( breastfeeding )-3 ग्राम या 6 ग्रामअधिकतम मुमकिन डोज़-12 ग्राम प्रति दिन (खंडित डोज़ में)

Precautions of Kerala Ayurveda Triphala Choornam

ढीला पाखाना (आमतौर पर तब होता है जब आदमी ने पहली बार त्रिफला लेना शुरू किया होता है) आमाशय बुरा होता है (विशेषकर तब होता है जब त्रिफला को खाली आमाशय लिया जाता है। त्रिफला को आहार ( food ) के साथ या आहार ( food ) के बाद लेने से इसे कम किया जा सकता है) आमाशय में पीड़ा और मरोड़ (आमतौर पर लोगों में होता है) अधिजठर सॉफ्टनेस, आमाशय पीड़ा या सॉफ्टनेस का हिस्ट्री) संजीदा डायरिया (यह बहुत विरला ( rare ) है, लेकिन चिड़चिड़ा आंत सिंड्रोम ( syndrome ), बदहजमी, बार-बार डायरिया के हिस्ट्री वाले लोगों में होता है। यह पतले बॉडी ( body ) वाले दुर्बल आदमी और पित्त तरह के लोगों में भी हो सकता है) प्रेग्नेंसी ( pregnency ) त्रिफला इस्तेमाल का एक contraindication है। त्रिफला एक रेचक क्रिया करता है और रेचक क्रिया की तीव्रता आदमी से दूसरे आदमी में अलग हो सकती है। दूसरे, यह गर्भाशय उत्तेजक के रूप में भी काम कर सकता है, जिससे संकुचन हो सकता है और गर्भपात हो सकता है। तथापि, यह प्रभाव ( effect ) विरला ( rare ) है, लेकिन प्रेग्नेंट स्त्रियों को त्रिफला के सेवन से किसी भी तरह की जटिलता से बचने के लिए इससे बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी ( pregnency ) में त्रिफला की घातक डोज़ करीब-करीब 5 ग्राम है। इससे कुछ प्रेग्नेंट स्त्रियों में आमाशय में पीड़ा और डायरिया भी हो सकते हैं। यदि आप प्रेग्नेंसी ( pregnency ) में कोष्ठबद्धता ( constipation ) के सुरक्षित ऑप्शन ( option ) की खोज में हैं, तो आप गुलकंद का सेवन कर सकती हैं। गुलकंद में हल्का रेचक प्रभाव ( effect ) होता है और त्रिफला की तुलना ( comparison ) में सुरक्षित होता है। त्रिफला के एक्टिव सिद्धांत शिशुओं को ब्रेस्ट के मिल्क से गुजर सकते हैं। तथापि, स्तनपान ( breastfeeding ) के दौरान इसके इस्तेमाल से माँ और बच्चे दोनों पर कोई दुष्प्रभाव ( side effect ) नहीं होता है। नर्सिंग करते अवधि ( समय ) त्रिफला का इस्तेमाल करने से पहले आपको आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

  • कुपोषण
  • फास्ट या डाइटिंग
  • संजीदा भार घटाने
  • स्किन का बहुत खुश्की
  • आमाशय की सॉफ्टनेस
  • नाराज़गी और अति अम्लता ( खट्टापन )
  • जठरशोथ और अल्सर ( ulcer )
  • स्वेलिंग आंत बीमारी (आईबीडी)