Name | Unjha Swarna Bhasma (500mg) |
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Other Names | Swarn Bhasma, गोल्ड भस्म, Suvarna Bhasma |
Brand | उंझा |
MRP | ₹ 5505 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), Bhasm & Pishti |
Sizes | 1g, 100 मिलीग्राम ( mg ), 500 मिलीग्राम ( mg ) |
Prescription Required | No |
Length | 0 सेंटिमीटर |
Width | 0 सेंटिमीटर |
Height | 0 सेंटिमीटर |
Weight | 0 ग्राम |
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स्वर्ण भस्म के बारे में
स्वर्ण भस्म (जिसे स्वर्ण भस्म, स्वर्ण भस्म और सुवर्णा भस्म भी कहा जाता है) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल गैर-स्पेसिफिक इम्युनिटी बढ़ाने और बिमारियों की एक व्यापक समूह के ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है। यह भिन्न-भिन्न औषधियों और जड़ी-बूटियों के लिए मददगार के रूप में भी काम करता है और उनके कार्यों को बढ़ाता है और उनकी प्रभावकारिता को बढ़ाता है। आयुर्वेद ( ayurveda ) के अनुरूप ( accordingly ), यह एक बढ़िया नर्व टॉनिक है और समस्त सेहत में इम्प्रूवमेंट करता है। यह आयु, बुद्धि, याददाश्त, स्किन की चमक बढ़ाता है और अनेक रोगों से बचाता है। इसके अतिरिक्त, यह ताकत और सहनशक्ति को बढ़ाता है और दिमाग़ी और दैहिक प्रदर्शन में इम्प्रूवमेंट करता है।
स्वर्ण भस्म यक्ष्मा, क्षय बीमारी, जीर्ण ज्वर, जीवन शक्ति की नुक्सान, दमा, कफ, दाह, अम्लता ( खट्टापन ), सूक्ष्म बैक्टीरिया इनफ़ेक्शन, गंभीर विषाक्तता, बांझपन आदि में मददगार है। इसका इस्तेमाल भिन्न-भिन्न मददगार या और औषधियों या जड़ी-बूटियों के साथ सब के सब बिमारियों में किया जा सकता है। रेकवरी प्रोसेस में तेजी लाने और बिमारियों के लिए बॉडी ( body ) के प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए।
Ingredients Of Swaran Bhasma
- शुद्ध ( pure ) सोना स्वर्ण भस्म का प्रमुख घटक है।
- सोने की भस्म शुद्ध ( pure ) सोने से बनाई जाती है।
- स्वर्ण भामसा को बनाने के लिए 24 कैरेट सोने का इस्तेमाल किया जाता है।
Medicinal Properties Of Swaran Bhasma
- बदलने की शक्तिवाला
- अतिविष
- इम्यूनोमॉड्यूलेटरी
- नूट्रोपिक
- नर्व टॉनिक
- नयूरोप्रोटेक्टिव
- कार्डियोप्रोटेक्टिव
- हार्ट टॉनिक
- हेपेटोप्रोटेक्टिव
- एंटीऑक्सिडेंट
- adaptogenic
- लकवा रोधी
- एंटी-रूमेटिक या एंटी-आमवात
- सूजनरोधी
- एंटिएंजिनल
- चिंता ( anxiety ) निरोधक
- antiarrhythmic
- जीवाणुरोधी
- कर्कट ( cancer ) एन्टी
- निरोधी
- एंटी
- ऐंटिफंगल
- रोगाणुरोधी
- एन्टी mutagenic
- एंटीप्रोलिफेरेटिव
- एंटीसाइकोटिक (न्यूरोलेप्टिक)
- ज्वर हटानेवाल
- कासरोधक
- एंटीअल्सरोजेनिक
- कामोद्दीपक
- शांतिदायक
- हाज़मा उत्तेजक
- ज्वरनाशक
- इम्यूनोमॉड्यूलेटरी
- बुद्धि को प्रोत्साहन देना
- एन्टी ट्युबरकुलर
- एन्टी दमा
- गंभीर विषाक्तता के लिए विषहर औषध
- साधारण टॉनिक
Swarna Bhasma Indications
सामान्यतः निम्न बिमारियों में स्वर्ण भस्म का उपयोग किया जाता है:
ज्वर और इनफ़ेक्शन
- बैक्टीरियल ( bacterial ) और वायरल ( viral ) इनफ़ेक्शन की एक व्यापक समूह
- गुमनाम एटियलजि का ज्वर
- पुराना ज्वर
- कम श्रेणी ज्वर
- सब के सब तरह के क्षय बीमारी (टीबी)
- आंतों के क्षय बीमारी
- यक्ष्मा
- आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर
- ब्लड गंभीर विषाक्तता (सेप्सिस या सेप्टीसीमिया)
- सूजाक
- ऊपरी श्वसन ( respiration ) इनफ़ेक्शन
- बारम्बार होनेवाला ऊपरी श्वसन ( respiration ) पथ के इनफ़ेक्शन
फेफड़े ( lungs ) और वायुपथ
- पुराने ( chronic ) ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ )
- कफ
- दमा - दमा की और औषधियों के साथ
- दमा ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ )
- एलर्जी ( allergy ) रिनिथिस
हार्ट और ब्लड वाहिकाएं
- एंजाइना पेक्टोरिस
- हार्ट की निर्बलता
मन, ब्रेन और तंत्रिकाएं
- शिराओं की निर्बलता
- पक्षाघात जैसे नर्व रिलेटिव बीमारी
- दोध्रुवी डिसऑर्डर
- डिप्रेशन (आक्रामक आचरण हो तो उसे मुक्ता पिष्टी के साथ देना चाहिए)
- चेहरे की नसो मे पीड़ा
- जुनूनी-बाध्यकारी डिसऑर्डर (ओसीडी)
- सामान्यीकृत चिंता ( anxiety ) डिसऑर्डर
बोन ( bone ), जोड़ और मांसपेशियां
- रूमेटाइड आमवात
- ऑस्टियोआर्थराइटिस ( osteoarthritis ) - जब मरीज को और औषधियों से आराम नहीं मिलता है
चर्म बीमारी
- सोरायसिस
- खारिश
वयस्क पुरुषों का सेहत
- बांझपन
- नपुंसकता
स्त्रियों की सेहत
- गर्भाशय की निर्बलता (गर्भाशय टॉनिक के रूप में काम करती है और अश्वगंधा चूर्ण के साथ उपयोग की जाती है)
- बांझपन
और
- कम इम्युनिटी
- जीवन शक्ति का हानि
- बाहरी और अंदरूनी कारकों के कारण गंभीर विषाक्तता या गंभीर विषाक्तता
- सब के सब तरह के कर्कट ( cancer )
- gastritis
स्वर्ण भस्म फायदा और मेडिसिनल इस्तेमाल
स्वर्ण भस्म एक आयुर्वेदिक पारंपरिक दवा है जो शुद्ध ( pure ) सोने से तैयार की जाती है और अनेक क्रोनिक रोगों में सहायक है। यह प्रतिरोधी ( resistant ) तपेदिक और जोड़ों का प्रदाह के लिए पसंद की औषधि है।
हृदय के लिए स्वर्ण भस्म
स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल हार्ट बिमारियों के ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है। यह हार्ट और हार्ट की मांसपेशियों ( muscles ) को शक्ति प्रोवाइड करता है। यह हार्ट के भिन्न-भिन्न भागों में ब्लड परिसंचरण को बढ़ाता है, ब्लड को डिटॉक्सीफाई करता है और कोरोनरी धमनियों को साफ करता है। यह हार्ट की मांसपेशियों ( muscles ) में ब्लड के इष्टतम फ्लो को बनाए रखते हुए हार्ट को मायोकार्डियल इस्किमिया से बचाता है। यह और औषधियों के साथ-साथ एंजाइना पीड़ा की कष्ट करने वाले लोगों के लिए भी लाभदायक है। एंजाइना पेक्टोरिस में, सुवर्ण भस्म का इस्तेमाल श्रृंग भस्म और टर्मिनलिया अर्जुन छाल पाउडर, अर्जुनारिष्ट या अर्जुन क्षीर पाक (अर्जुन सिद्ध क्षीर) के साथ किया जाता है।
स्वर्ण भस्म एंजाइना पेक्टोरिस में काम करती है
छाती में पीड़ा या एंजाइना पेक्टोरिस हार्ट की कोरोनरी धमनियों में किसी रुकावट, एथेरोस्क्लेरोसिस या मरोड़ के कारण होता है। श्रृंग भस्म के साथ स्वर्ण भस्म धमनियों के एथेरोस्क्लेरोसिस को कम करता है, ब्लड वाहिकाओं को आराम देता है और रुकावटों को दूर करता है। तथापि, इस स्थिति में स्वर्ण भस्म अकेले काम नहीं कर सकती है, लेकिन यह हार्ट को शक्ति प्रोवाइड कर सकती है। इसलिए छाती के पीड़ा के लिए भी श्रृंग भस्म अनिवार्य है।
रक्त साफ करता है
हाज़मा प्रोसेस और बॉडी ( body ) पद्धति अनेक विषाक्त पदार्थों को छोड़ती है। कुछ बाहरी कारक भी बॉडी ( body ) में टॉक्सिन जमा होने में योगदान निभाते हैं। जीवाणु, वायरस और और सूक्ष्मजीवों ( microorganism ) के कारण होने वाले इनफ़ेक्शन बॉडी ( body ) के अंदर अनेक विषाक्त तत्त्व छोड़ते हैं। वैसे तो संक्रामक बिमारियों को ठीक करने के लिए हमारे नजदीक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) हैं, लेकिन बॉडी ( body ) में कुछ टॉक्सिन्स रह जाते हैं, जो बाद में और अस्पष्टीकृत ( unexplained ) रोगों को जन्म देते हैं। इन विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए आयुर्वेद ( ayurveda ) में सोने की राख का इस्तेमाल किया जाता है। कभी-कभी, लोग गुमनाम एटियलजि के बिमारियों से दुःखित होते हैं। इन स्थितियों में, आयुर्वेद ( ayurveda ) त्रुटि (वात, पित्त और कफ, बलगम) की प्रबलता के अनुरूप ( accordingly ) स्वर्ण भस्म और और औषधियों के साथ उनका उपचार करता है। स्वर्ण भस्म ब्लड को शुद्ध ( pure ) करती है और बॉडी ( body ) से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
बदहजमी, भूख न लगना, आमाशय में भारीपन और खिंचाव होने पर ताजा जिंजर ( ginger ) के जूस के साथ स्वर्ण भस्म दी जाती है।
यक्ष्मा
स्वर्ण भस्म तपेदिक (टीबी) के लिए आयुर्वेद ( ayurveda ) में पसंद की औषधि है। इसमें बॉडी ( body ) में एंटीमाइक्रोबियल, एंटी-टॉक्सिन और एंटीवायरल प्रभाव ( effect ) होते हैं। क्षय बीमारी की आरंभिक अवस्था में स्वर्ण भस्म लाभकारी होती है। यह एक ताकतवर जीवाणुरोधी एजेंट के रूप में काम करता है और उत्तरदायी या इनफ़ेक्शन पैदा करने वाले ट्यूबरकुलर बेसिली को बरबाद करने में सहायता करता है। यह इस स्थिति के कारण होने वाले लक्षणों जैसे ज्वर, मांसपेशियों ( muscles ) में अभाव, निर्बलता को भी कम करता है। यह आदमी की बीमारी प्रतिरोधक योग्यता को भी बढ़ाता है।
आयुर्वेदिक तैयारी जिसमें स्वर्ण (सोना) प्रमुख घटक है, टीबी आयुर्वेद ( ayurveda ) से जुड़े तपेदिक और ज्वर के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसमें शामिल हास्य और ऊतक के अनुरूप ( accordingly ) तपेदिक के अनेक पड़ावों की व्याख्या की गई है। तपेदिक के पहले और दूसरे पड़ाव में स्वर्ण भस्म प्रभावशाली है।
तीसरे पड़ाव में, फेफड़ों में ज़ख्म बॉडी ( body ) के टिशू के हानि को बढ़ाते हैं और तपेदिक से दुःखित आदमी की ताकत को कम करते हैं। इस अवस्था में, जब कोई आदमी संजीदा कुपोषण, आहार ( food ) के कुअवशोषण, बॉडी ( body ) की शक्ति की नुक्सान, ट्यूबरकल बेसिली (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस) के कारण होने वाले जख्मों के कारण फेफड़े ( lungs ) के टिशू की नुक्सान से दुःखित होता है, तो आयुर्वेद ( ayurveda ) में कोई प्रभावशाली इलाज नहीं है। आधुनिक विज्ञान में, यह चिरकालीन प्रतिरोधी ( resistant ) तपेदिक है। सब के सब मेडिसिन अप्रभावी हो जाती हैं और आगे इम्प्रूवमेंट की कोई अनुमान नहीं है। यद्यपि, आयुर्वेद ( ayurveda ) ऐसे केस में भी रोग का उपचार नहीं करता है, लेकिन स्वर्ण भस्म प्रतिरोधी ( resistant ) तपेदिक में भी लक्षणों को कम करने में सहायता करती है। फैक्ट ( fact ) का क़ीमत करने के लिए आगे के शोध स्टडी की जरूरत है।
संकेत
यद्यपि, यह औषधि तेज ज्वर के तेज़ हमले के दौरान नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि इसके फलतः उनमें से विषाक्त पदार्थों के निकलने के कारण ट्यूबरकुलर बेसिली की तेजी से डेथ हो सकती है। इससे टेंपेरेचर ( temperature ) में यकायक वृद्धि हो सकती है जिससे लक्षण ( symptom ) बिगड़ सकते हैं।
अनुत्पादक कफ
जब कोई आदमी सूखी खाँसी ( cough ) से दुःखित होता है जिसमें घरघराहट की आवाज होती है, तो श्रृंग भस्म, प्रवल पिष्टी और गिलोय सत् के साथ स्वर्ण भस्म फेफड़ों से गाढ़े श्लेष्मा को दूर करने के लिए लाभदायक होती है और सरलता से सांस लेने में सहायता करती है और सूखा अनुत्पादक का प्रबंधन करती है। खांसी।
- Swarna Bhasma-1 Part
- Shringa Bhasma-10 Parts
- Praval Pishti-25 Parts
- गिलोय सत-50 भाग
- सितोपलादि चूर्ण-100 भाग
दिमाग़ी डिसऑर्डर
दिमाग़ी विकृतियों के लिए भी स्वर्ण भस्म लाभकारी आयुर्वेदिक दवा है। स्वर्ण भस्म ब्रेन में स्वेलिंग को भी कम करती है।
असंवेदनशीलता, पूरे बॉडी ( body ) में दाह, बच्चे की तरह रोना, आवाज को सहन करने में असमर्थता, हाथों और टांगों को दीवार से मारना, दैहिक आक्रामकता, दाह, जोर से रोना आदि स्पेसिफिक लक्षण ( symptom ) हैं। इन लक्षणों में , मुक्ता पिष्टी के साथ स्वर्ण भस्म दी जाती है।
डिप्रेशन
यदि कोई मरीज पृथक-थलग रहना पसंद करता है और और लोगों को बर्दाश्त नहीं करता है, तो इस केस में स्वर्ण भस्म पसंद की औषधि है। आमतौर पर सोने की राख चिंता ( anxiety ), ध्यान की अभाव, अज्ञानता, चिड़चिड़ाहट, दुःख की मनोवृत्ति, दूसरों से पृथक होना, आराम करने में असमर्थता आदि लक्षणों में मददगार होती है। पेसिंग भी डिप्रेशन का इशारा है और आदमी निरन्तर सोचता रहता है और बेकार की योजनाएँ बनाता रहता है। ऐसे में मुक्ता पिष्टी और अभ्रक भस्म के साथ स्वर्ण भस्म देनी चाहिए।
आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर
सोने की तैयारी जैसे ब्राह्मी वटी सोना, स्वर्ण मालिनी वसंत जूस (बसंत मालनी जूस), जय मंगल जूस इत्यादि आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर में तुलसी ( tulsi ) के चूर्ण के साथ दिया जाता है।
आँख आना
नेत्रश्लेष्मलाशोथ नेत्रों के कंजंक्टिवा की स्वेलिंग है, जिसमें लाली, जल का डिस्चार्ज, नेत्रों में दाह और नेत्रों में खारिश आदि होती है। इस केस में, मुक्ता पिष्टी, प्रवल पिष्टी और गिलोय सत् के साथ स्वर्ण भस्म दी जाती है।
नेत्रश्लेष्मलाशोथ के लिए आयुर्वेदिक मिश्रण ( mixture )
- Swarna Bhasma-1 Part
- Mukta Pishti-25 Parts
- Praval Pishti-100 Parts
- गिलोय शनि -100 भाग
चर्म बीमारी
स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल उन तैयारियों में किया जाता है जो क्रोनिक स्किन बिमारियों के लिए लाभदायक होती हैं। कभी-कभी सोरायसिस, क्रॉनिक ( chronic ) एट्रोफिक डर्मेटाइटिस आदि में सोने की आवश्यकता पड़ती है।
कर्क राशि में सोने का उपयोग
सोने के कण या स्वर्ण भस्म कर्कट ( cancer ) के पेशेन्ट्स ( patient ) के लिए भी मददगार होते हैं। यह कर्कट ( cancer ) कोशिकाओं के उन्नति को रोकता है और बॉडी ( body ) के टिशू के अनवांटेड उन्नति से लड़ने के लिए इम्युनिटी में इम्प्रूवमेंट करता है। कुछ स्टडी भी कर्कट ( cancer ) में सोने की प्रभावकारिता का सजेशन ( suggestion ) देते हैं लेकिन इस विषय पर और शोध की जरूरत है।
उम्र के अनुरूप ( accordingly ) स्वर्ण भस्म की डोज़
- बच्चे(12 माह तक)-1 to5mg
- शिशु (1-3 साल) -5 से 7.5 मिलीग्राम ( mg )
- प्रीस्कूलर (3-5 साल) -7.5 से 10 मिलीग्राम ( mg )
- श्रेणी-स्कूली (5 - 12 साल) -10 से 15 मिलीग्राम ( mg )
- किशोरी (13 -19 साल) -15 से 20 मिलीग्राम ( mg )
- वयस्क (19 से 60 साल)-20 से 30 मिलीग्राम ( mg )
- जराचिकित्सा (60 साल से ऊपर) -20 से 30 मिलीग्राम ( mg )
- प्रेग्नेंसी ( pregnency )-1 से 5 मिलीग्राम ( mg )
- लैक्टेशन-1 से 5 मिलीग्राम ( mg )
- ज़्यादा से ज़्यादा मुमकिन डोज़-125 मिलीग्राम ( mg ) प्रति दिन (खंडित डोज़ में)
सुरक्षा प्रोफ़ाइल
स्वर्ण भस्म बहुसंख्यक व्यक्तियों में अच्छी तरह से सहन की जाती है जब स्वर्ण भस्म को आयुर्वेदिक डॉक्टर की निगरानी में रिकमंडेड डोज़ में लिया जाता है।
स्वर्ण भस्म साइड इफेक्ट
स्वर्ण भस्म को शास्त्रीय पाठ में वर्णित सटीक ( exact ) विधियों से तैयार किया जाना चाहिए। उचित आयुर्वेदिक तकनीक से तैयार स्वर्ण भस्म से कोई दुष्प्रभाव ( side effect ) नहीं बताया गया है। आधुनिक विज्ञान में उपयोग होने वाले सोने के लवण की तुलना ( comparison ) में यह सबसे सुरक्षित ऑप्शन ( option ) है।