पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) का पीड़ा
कारण
- पीठ ( back ) या घुटने ( knee ) में चोट
- आमवात
- संगठित चोटें
- रजोनिवृत्ति
- शिराओं का संपीड़न
- व्यवसाय उन्मुख: निरन्तर खड़े रहना या बैठना
लक्षण
- बैठने/काम करने/चलने के दौरान पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) में तेज पीड़ा
- स्थिति बदलने में मुसीबत
- पीठ ( back ) में भारीपन
- टांगों में सुन्नपन
- सोने की गलत पोजीशन
आमवात और आमवात
कारण
- पुष्टिकारक तत्वों की अभाव (कैल्शियम। विटामिन ( vitamin ) डी)
- रजोनिवृत्ति
- आयु बढ़ने
- ज्यादा भार
- आमवात का पारिवारिक हिस्ट्री
लक्षण
- जॉइंट्स के पीड़ा के साथ थकान
- जॉइंट्स की लालिमा और स्वेलिंग
- जॉइंट्स का अकड़ना
- कठिन चलना
- मांसपेशियों ( muscles ) में निर्बलता
Name | Unjha Vat Gajankush Ras (80tab) |
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Brand | उंझा |
MRP | ₹ 180 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर |
Sizes | 80tab |
Prescription Required | No |
Length | 3 सेंटिमीटर |
Width | 3 सेंटिमीटर |
Height | 6.5 सेंटिमीटर |
Weight | 23 ग्राम |
Diseases | पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) का पीड़ा, आमवात और आमवात |
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वट गजनकुश रासो के बारे में
वट गजनकुश जूस जड़ी-बूटियों की आयुर्वेदिक दवा है। यह औषधि भैषज्य रत्नावली, वात-व्याध्याधिकार से संदर्भित है।
वट गजनकुश जूस स्नायु-पेशी विकृतियों, मांसपेशियों ( muscles ) में पीड़ा, जॉइंट्स के पीड़ा, आमवाती पीड़ा और वात विकृतियों के ट्रीटमेंट ( treatment ) में सहायक है। यह विक्षिप्त वात और कफ, बलगम के कारण होने वाले वात बीमारी में स्पेशल रूप से सहायक है
वट गजंकुश रसो की मटेरियल
- जूस सिन्दुरा
- Loha (Lauha bhasma)
- तप्य (मक्षिका भस्म)
- Gandhaka shuddha
- Talaka (Shuddha Haritala)
- पथ्या (हरिताकी)
- Shringi (Karkatashringi)
- वत्सनाभ (रि.)
- मारिका
- Pippali
- Shunthi
- Agnimantha
- Tankana shuddha
- मुंडीद्रवा (मुंदितिका)
- निर्गुंडी तरल
वट गजनकुश जूस के फायदा
- यह स्वेलिंग को कम करता है।
- इससे पीड़ा में आराम मिलता है।
- इसमें परिवर्तनकारी, वायुनाशक और वातनाशक गुण होते हैं।
- इसमें मोटापा रोधी गुण होते हैं।
वट गजानकुश रासो के इशारा
- वात गंजकुश जूस का इस्तेमाल वात-डिसऑर्डर, पक्षाघात, रक्तमेह, चेहरे का पक्षाघात, जॉइंट्स का पीड़ा, आमवात, जीर्ण ऑस्टियोआर्थराइटिस ( osteoarthritis ), साइटिका, फ्रोजन शोल्डर, मांसपेशियों ( muscles ) में पीड़ा, एक कण्डरा की स्वेलिंग आदि के ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है।
- स्नायुपेशी डिसऑर्डर
- गृध्रसी (साइटिका)
- क्रोष्टुका सिरशा (घुटने ( knee ) के जोड़ का सिनोव्हाइटिस)
- अवबाहुका (ब्रेकियाल्जिया: शिराओं में किसी प्रॉब्लम ( problem ) के कारण हाथ ( arm ) का पीड़ा, बार बार गर्दन ( neck ) में संकुचित या पिंच शिरा)
- मान्या स्तम्भ (गर्दन ( neck ) में अकड़न/टोर्टिकोलिस: गर्दन ( neck ) की मांसपेशियों ( muscles ) का अनैच्छिक संकुचन, जिससे मस्तिष्क मुड़ जाता है या एक तरफ मुड़ जाता है)
- उरुस्तंभ (जांघ की मांसपेशियों ( muscles ) में अकड़न)
- पक्षाघाट (लकवा/हेमिप्लेगिया: ब्रेन के मोटर केंद्रों की रोग या चोट के कारण बॉडी ( body ) के एक तरफ का पूर्ण या आंशिक पक्षाघात)
वट गजानकुश रसो की डोज़
एक से दो टेबलेट्स ( tablets ), दिन में एक या दो बार, आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार। इसे लंबी काली मिर्च, मधु ( honey ) या मंजिष्ठा के काढ़े के साथ लेने की परामर्श दी जाती है।
वट गजनकुश रसो में सतर्कता
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें वजनी धातु मटेरियल होती है।
- इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
- ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
- शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
- सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।