Baidyanath Khanjanikari Ras (5g)

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Baidyanath Khanjanikari Ras (5g)

एडी का पीड़ा

कारण

  • ज्यादा भार के कारण एड़ी पर दबाव ( चाप ) पड़ता है
  • बुरा फिटिंग या घिसे-पिटे जूते पहनना
  • एड़ी में चोट
  • कैल्केनियम स्पर
  • काम करने की स्थिति जहां लंबे अवधि ( समय ) तक खड़े रहने की जरूरत होती है

लक्षण

  • एड़ी में तेज पीड़ा
  • एड़ी की स्वेलिंग के साथ चलने और खड़े होने में मुसीबत
  • एड़ी का सुन्न होना
  • एड़ी की हार्डनेस
  • ऊँची एड़ी के जूते उठाने में मुसीबत

पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) का पीड़ा

कारण

  • पीठ ( back ) या घुटने ( knee ) में चोट
  • आमवात
  • संगठित चोटें
  • रजोनिवृत्ति
  • शिराओं का संपीड़न
  • व्यवसाय उन्मुख: निरन्तर खड़े रहना या बैठना

लक्षण

  • बैठने/काम करने/चलने के दौरान पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) में तेज पीड़ा
  • स्थिति बदलने में मुसीबत
  • पीठ ( back ) में भारीपन
  • टांगों में सुन्नपन
  • सोने की गलत पोजीशन

NameBaidyanath Khanjanikari Ras (5g)
BrandBaidyanath
MRP₹ 210
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर
Sizes5जी
Prescription RequiredNo
Length3.7 सेंटिमीटर
Width3.7 सेंटिमीटर
Height5.6 सेंटिमीटर
Weight14 ग्राम
Diseasesएडी का पीड़ा, पीठ ( back ) और घुटने ( knee ) का पीड़ा

Khanjanikari Ras के बारे में

खंजनिकरी जूस जड़ी-बूटियों की आयुर्वेदिक दवा है। इस औषधि में परिवर्तनकारी, उत्तेजक और नर्व रिलेटिव गुण होते हैं। खंजनिकरी जूस मल्ल सिंदूर, रजत भस्म और शुद्ध ( pure ) विशामुष्टी या कुचाला (स्ट्राइकनोस नक्स-वोमिका) को बराबर मात्रा ( quantity ) में लेकर तैयार किया जाता है। कुचाला नर्व टॉनिक है और इसमें मध्य नर्व तंत्र उत्तेजक गुण होते हैं। यह औषधि पक्षाघात (पक्षाघाट), गाउट और अनेक और वात व्याधि के ट्रीटमेंट ( treatment ) में संकेतित है।

Ingredients of Khanjanikari Ras

  • Kuchala - के ट्रीटमेंट ( treatment ) के लिए निर्धारित किया जाता है नपुंसकता , मांसपेशियों ( muscles ) में निर्बलता, दमा , कोष्ठबद्धता ( constipation ) , मलेरिया ज्वर , भूख में अभाव और और परिस्थितियों ।
  • मल्ल सिंदूर - मल्ला सिंदूर वात और कफ, बलगम बिमारियों में सहायक है। यह बैक्टीरिया, विषाणु आदि बिमारियों के ट्रीटमेंट ( treatment ) के लिए सहायक दवा है और हैजा/हैजा, मलेरिया, उपदंश के ट्रीटमेंट ( treatment ) के लिए दी जाती है। यह दवा सुजाक के लिए भी दी जाती है। मल्ला सिंदूर वात बीमारी, पक्षघात (हेमिप्लेजिया), अमावत आमवात, आमवात और कफ, बलगम बीमारी, निमोनिया ( pneumonia ), श्वसन ( respiration ) बीमारी के ट्रीटमेंट ( treatment ) में बढ़िया नतीजा देता है।
  • रौप्य भस्म - रौप्य भस्म या रजत भस्म रौप्य या चांदी की एक आयुर्वेदिक धातु की तैयारी है। चांदी को आमतौर पर चंडी और रजत के नाम से जाना जाता है। रौप्य भस्म चांदी की राख या ऑक्साइड है और इसका इस्तेमाल नर्व तंत्र और ब्रेन की निर्बलता से रिलेटेड भिन्न-भिन्न बिमारियों में किया जाता है। यह बॉडी ( body ) में दाह, वात और पित्त, प्रमेह, ज्वर, कमजोरी, चर्म बीमारी आदि को भी दूर करता है। रौप्य भस्म का रूप भूरा-काला अनाकार चूर्ण होता है।
  • अर्जुन की छाल - अर्जुन जिगर ( liver ) में एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) के टर्नओवर को तेज करके कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) को समाप्त करता है। यह बीटा-लिपोप्रोटीन लिपिड को भी कम करता है और हाइपरलिपिडेमिक पेशेन्ट्स ( patient ) में एचडीएल अवयवों की रेकवरी को कम करता है। इस तरह साधारण शब्दावली में कोलेस्ट्रॉल ( cholesterol ) के स्तर में अभाव आती है। हार्ट की मांसपेशियों ( muscles ) को ताकतवर करने और हार्ट की साधारण कार्यप्रणाली को बनाए रखने के लिए हार्ट उत्तेजक के रूप में काम करता है। हाई ब्लड प्रेशर में अर्जुन लाभकारी है। इसकी हाइपोलिपिडेमिक चाल-चलन और मूत्रवर्धक, पेशाब बढ़ाने वाला संपत्ति के कारण यह हाई ब्लड प्रेशर के विरुद्ध काम करता है। अर्जुन भी कसैले और काम में हेमोस्टेटिक है। इसमें प्रोस्टाग्लैंडीन बढ़ाने और कोरोनरी ख़तरा को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। हार्ट रिलेटिव विकृतियों जैसे म्योकार्डिअल इन्फ्रक्शन, एंजाइना, कोरोनरी आर्टरी डिजीज ( disease ), हृदय फेल्योर, हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया और हाइपरटेंशन में बेहद लाभदायक है।

खंजनिकरी रसो के इशारा

खंजनिकरी जूस मल्ल सिंदूर, कुचिला और रजत भस्म का सम्मिश्रण है। यह औषधि बहुत उष्ण होती है और के ट्रीटमेंट ( treatment ) में इशारा दी जाती है

  • जीर्ण पक्षाघात, चेहरे का पक्षाघात
  • Paraplegia (टांगों और निम्न बॉडी ( body ) का पक्षाघात, आमतौर पर मेरुदंड की बोन ( bone ) में चोट या रोग के कारण होता है)
  • लैथिरिज्म (थरथराहट, मांसपेशियों ( muscles ) में निर्बलता और पैरापलेजिया द्वारा चिह्नित बीमारी)
  • मोनोप्लेजिया (पक्षाघात बॉडी ( body ) के एक अंग या प्रदेश तक सीमित है) गाउट
  • सुजाक (सूजाक के लिए नेचुरल घरेलू ट्रीटमेंट ( treatment )), निमोनिया ( pneumonia )
  • Sannipat, Khanjadivaat (Lameness)
  • विक्षिप्त वात या वात व्याधि के कारण होने वाले बीमारी

खंजनिकरी रसो की डोज़

  • खंजनिकरी जूस को दशमूल क्वाथ या गाय के मिल्क के साथ 1-2 टैबलेट ( tablet ) की मात्रा ( quantity ) में प्रातः-संध्या सेवन करना चाहिए।

कामदूध रसो की सतर्कता

  • यह औषधि केवल सख्त औषधीय निगरानी में ही ली जानी चाहिए।
  • इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है।
  • शिशुओं और प्रेग्नेंट स्त्रियों को इससे बचना चाहिए।
  • इस औषधि का चयन किसी अच्छी कंपनी से करना निश्चित रूप से करें।
  • ओवरडोज से थरथराहट, घुमेरी ( dizziness ) आना आदि जैसे दुष्प्रभाव ( side effect ) हो सकते हैं।
  • इस औषधि को केवल अवधारित डोज़ में और अवधारित अवधि के लिए ही लेना निश्चित रूप से करें।
  • शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
  • सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।
  • औषधि में वजनी धातुएं होती हैं, इसे एचटीएन, सीकेडी और डायबिटीज के पेशेन्ट्स ( patient ) में एहतियात के साथ लेना चाहिए।