बदहजमी/अम्ल/गैस
कारण
- खा
- चिंता ( anxiety )
- लगातार व्रत
- मसालों से भरा आहार ( food ) का ज्यादा सेवन
- पीड़ा निरोधक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) अम्लता ( खट्टापन ) का कारण बन सकते हैं
लक्षण
- ऊपरी आमाशय में आकुलता ( बेचैनी )
- आमाशय पीड़ा और परिपूर्णता की मनोवृत्ति
- उल्टी
- मतली के एपिसोड
- स्वेलिंग की अनुभूति
Name | Dabur Avipattikar Churan (60g) |
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Brand | डाबर |
MRP | ₹ 114 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), चूर्ण, अवलेहा और पाकी |
Sizes | 60 ग्राम |
Prescription Required | No |
Length | 4.7 सेंटिमीटर |
Width | 4.7 सेंटिमीटर |
Height | 10.7 सेंटिमीटर |
Weight | 79 ग्राम |
Diseases | बदहजमी/अम्ल/गैस |
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डाबर अविपट्टिकर चूर्ण के बारे में
अविपट्टिकर चूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का एक सम्मिश्रण है जो जठरांत्र रिलेटिव प्रॉब्लम्स के लिए रिकमंडेड है। यह नेचुरल पारंपरिक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का अद्भुत मिश्रण ( mixture ) है जो एसिडिटी ( acidity ) से आराम दिलाने में सहायता करता है। इसमें नेचुरल जड़ी बूटियां होती हैं जो आमाशय के पीएच को बैलेंस्ड करती हैं और एसिडिटी ( acidity ) को दूर करने में सहायता करती हैं। माना जाता है कि इस नेचुरल उत्पाद ( product ) में इस्तेमाल की जाने वाली नेचुरल जड़ी-बूटियाँ आमाशय में एसिड के गठन को कम करती हैं और हाइपरएसिडिटी के ट्रीटमेंट ( treatment ) में सहायता करती हैं।
यह आहार ( food ) के पूर्ण हाज़मा में सहायता करता है और गैस बनने से रोकने में सहायता करता है। अविपट्टिकर चूर्ण और हाज़मा बिमारियों जैसे कोष्ठबद्धता ( constipation ), डायरिया, बदहजमी, आदि में भी सहायता करता है। इस उत्पाद ( product ) में प्रमुख घटक आंवला है जिसे हाज़मा विकृतियों के लिए बहुत लाभदायक नेचुरल ट्रीटमेंट ( treatment ) माना जाता है। आंवला में एंटी-ऑक्सीडेंट होते हैं जो बॉडी ( body ) में अनवांटेड तत्वों से लड़ते हैं।
डाबर अविपट्टिकर चूर्ण की मटेरियल
- सोंठ (सूखा जिंजर ( ginger ))
- काली मिर्च (पाइपर नाइग्रम)
- लंबी मिर्च (लंबी मिर्च)
- हरीताकी (चेबुलिक मायरोबलन) टर्मिनालिया चेबुला
- बिभीतकी (बहेरा या बेलेरिक मायरोबलन) - टर्मिनालिया बेल्लिरिका
- आंवला (अमलकी या इंडियन करौदा) - Emblica Officinalis
- मुस्तका (अखरोट घास) - साइपरस रोटंडस
- वैविदांग (झूठी काली मिर्च) - एम्बेलिया रिब्स
- हरी इलायची - एलेटेरिया इलायची
- तेजपत्ता (इंडियन तेज पत्ता) - सिनामोमम तमाल
- लौंग (लौंग) - Syzygium सुगंधित
- निशोथ (तुरपेथ) - ऑपरकुलिना तुरपेथुम
- मिश्री (कैंडी शुगर - क्रिस्टलीकृत शुगर गांठ)
डाबर अविपट्टिकर चूर्ण के मेडिसिनल इशारा
अविपट्टिकर चूर्ण निम्नलिखित सेहत परिस्थितियों में मददगार होता है।
हाज़मा सेहत
- आमाशय की गैस
- जीर्ण जठरशोथ
- गर्ड
- कोष्ठबद्धता ( constipation )
- आमाशय में दाह
- भूख में अभाव
- खट्टी ( sour ) डकार ( belching )
गुर्दे और पेशाब पद्धति
- पेशाब रिलेटिव समस्याएं
- मिक्चरिशन में मुसीबत
- पथरी
- नेफ्रैटिस
- गुर्दे का बीमारी
- यूरेमिया (ब्लड में यूरिया का बढ़ा हुआ स्तर) - गुर्दे की विफलता ( failure ) में
- पुराने ( chronic ) गुर्दे फेल्योर।
एसिड बदहजमी और बदहजमी
- द्रुत तृप्ति
- प्रसवोत्तर परिपूर्णता
- गैस्ट्रोओसोफेगल ( gastroesophageal ) रिफ्लूज
जीईआरडी (गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स ( reflux ) बीमारी)
गैस्ट्रोओसोफेगल ( gastroesophageal ) रिफ्लक्स ( reflux ) डिजीज ( disease ) (जीईआरडी) एसिड रिफ्लक्स ( reflux ) का पुराना रूप है। यह तब होता है जब आमाशय की मटेरियल वापस अन्नप्रणाली ( esophagus ) या आहार ( food ) ट्यूब में प्रवाहित होती है। यह आहार ( food ) ट्यूब की परत में दाह पैदा करता है जिससे संजीदा नाराज़गी, कंठनली में दाह, बदहज़मी, छाती में पीड़ा, स्वर बैठना, खट्टा स्वाद ( taste ) आदि होता है।
अविपट्टिकर चूर्ण केवल आमाशय की मटेरियल को वापस आंतों में जाने से रोकता है। यद्यपि, निम्न एसोफेजियल स्फिंक्टर की निर्बलता पर इसका कोई प्रभाव ( effect ) नहीं पड़ता है, जो कि जीईआरडी का प्रमुख कारण है। मूल कारण को दूर करने के लिए अभ्रक भस्म, यशद भस्म, वंशलोचन, मुलेठी आदि जैसे और उपायों की जरूरत हो सकती है। इस केस में जीर्ण जठरशोथ में दिया गया सम्मिश्रण भी मददगार होता है।
गुर्दे और पेशाब पद्धति
कुछ आयुर्वेदिक डॉक्टर गुर्दे की रोगों में अविपट्टिकर चूर्ण का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन हमने इसे गुर्दे और पेशाब विकृतियों में बहुत प्रभावशाली पाया है।
बार-बार मूत्र आने में मुसीबत
यदि प्रोस्टेट मूत्र करने में मुसीबत का कारण नहीं है, तो अविपट्टिकर चूर्ण सहायता कर सकता है। अविपट्टिकर चूर्ण में मूत्रवर्धक, पेशाब बढ़ाने वाला क्रिया होती है। यह अपान वात पर काम करती है, जो आयुर्वेदिक अवधारणा के अनुरूप ( accordingly ) मूत्र को प्रेरित करती है और मलत्याग में सहायता करती है। यह अपान वात की क्रिया को ठीक करता है, जो पेशाब के सही फ्लो में सहायता करता है। अविपट्टिकर चूर्ण मूत्र की कुछ ड्रॉप्स के साथ मूत्र करने में मुसीबत और बार-बार मूत्र आने में सहायता करता है।
नेफ्रैटिस और नेफ्रोटिक सिंड्रोम ( syndrome )
अविपट्टिकर चूर्ण में स्वेलिंग-रोधी क्रिया होती है, लेकिन यह क्रिया गुर्दे पर ज्यादा दिखाई देती है। यह गुर्दे, ग्लोमेरुली, नलिकाओं और बीचवाला ऊतक की स्वेलिंग को कम करता है। इसलिए, यह ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस, इंटरस्टीशियल नेफ्रैटिस और ट्यूबलो-इंटरस्टिशियल नेफ्रैटिस के साथ सब के सब तरह के नेफ्रैटिस में प्रभावशाली है।
नेफ्रोटिक सिंड्रोम ( syndrome ) में अविपट्टिकर चूर्ण का इस्तेमाल चंद्रप्रभा वटी और पुनर्नवा पाउडर या पुनर्नवारिष्ट के साथ किया जाता है। यह सम्मिश्रण पेशाब में प्रोटीन की अभाव को कम करता है, स्वेलिंग (सूजन) और अलावा तरल धारण को कम करता है।
- अविपट्टिकर चूर्ण-3 से 5 ग्राम (1 चम्मच ( spoon ))
- Chandraprabha Vati-500 mg to 1000 mg
- पुनर्नवा पाउडर-3 ग्राम
डाबर अविपट्टिकर चूर्ण की डोज़
- बच्चे-1 से 3 ग्राम
- वयस्क-3 से 6 ग्राम
- जराचिकित्सा (60 साल से ऊपर) -3 ग्राम
- ज़्यादा से ज़्यादा मुमकिन डोज़- 12 ग्राम प्रति दिन (खंडित डोज़ में)
डाबर अविपट्टिकारा चूर्ण के दुष्प्रभाव ( side effect )
- कुछ में, यह डायरिया, जल से भरा पाखाना, आमाशय में पीड़ा और निर्जलीकरण ( dehydration ) का कारण बन सकता है।
- चूंकि शुगर मिलाई जाती है, इसलिए डायबिटीज के लोगों के लिए इस उत्पाद ( product ) की सिफारिश नहीं की जाती है।
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, सेंसिटिव आमाशय, अल्सरेटिव कोलाइटिस, डायरिया वाले लोगों को अविपट्टिकर चूर्ण लेते अवधि ( समय ) एहतियात बरतनी चाहिए।
- बिना आयुर्वेदिक चिकित्सक के प्रिस्क्रिप्शन ( prescription ) के इस औषधि को लेना जोखिमभरा है।
- प्रेग्नेंट स्त्रियों और 12 वर्ष से कम आयु के शिशुओं के लिए यह परामर्श नहीं दी जाती है, जब तक कि चिकित्सक इसे अवधारित न करें।