Dabur Vasavaleha (250g)

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Dabur Vasavaleha (250g)

एलर्जी ( allergy ) रिनिथिस

कारण

  • वसंत और पतझड़ के ऋतु में मौसमी एलर्जी ( allergy )
  • पराग की तरह बाहरी एलर्जेंस
  • दमा या एटोपिक एक्जिमा या दाद होने से आपका ख़तरा बढ़ जाता है
  • सिगरेट के धुएं के केमिकल
  • शीतल टेंपेरेचर ( temperature ) आर्द्र वायु
  • प्रदूषण और ताकतवर इत्र स्मेल

लक्षण

  • छींक ( sneeze ) आना
  • बहती नाक
  • बंद नाक
  • बेचैन नाक
  • कंठनली में खराश या खरोंच वाली खाँसी ( cough )
  • नेत्रों के नीचे काले घेरे के साथ खारिश वाली जल वाली आंखें
  • बार-बार सरदर्द
  • बहुत थकान

फ्लू ( flu ) और ज्वर

कारण

  • विषाणु इनफ़ेक्शन
  • बैक्टीरिया इनफ़ेक्शन
  • यकायक ठंडी सूखा हवाओं के कांटेक्ट में आना
  • कम इम्युनिटी

लक्षण

  • बॉडी ( body ) में पीड़ा और शीत लगना
  • बहुत थकान/निर्बलता
  • भूख में अभाव
  • घुमेरी ( dizziness ) आना
  • मांसपेशियों ( muscles ) और जॉइंट्स का पीड़ा
  • कफ, बलगम के साथ कफ
  • कंठनली में खरास
  • सरदर्द

ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ )

कारण

  • स्मोकिंग
  • वायु प्रदूषकों की ब्रीथिंग लेना (धूल या जहरीली गैसें)
  • फेफड़ों का इनफ़ेक्शन
  • कम इम्युनिटी
  • ताकतवर एसिड के लिए व्यावसायिक ख़तरा

लक्षण

  • कफ, बलगम के साथ कफ
  • साँसों की अभाव
  • हल्का ज्वर और शीत लगना
  • हल्का सरदर्द या बॉडी ( body ) में पीड़ा
  • उत्पादक कफ जो महीनों ( कई माह ) तक रहती है
  • थकान और छाती में कष्ट

दमा

कारण

  • एक एलर्जेन, अड़चन के कांटेक्ट में। वायु में प्रदूषक
  • तनाव
  • बार-बार प्रतिश्याय ( जुकाम ) जो छाती में बस जाता है
  • बारम्बार होनेवाला शीत और कफ का हिस्ट्री एलर्जिक राइनाइटिस
  • आनुवंशिक पूर्व स्वभाव के साथ पारिवारिक हिस्ट्री

लक्षण

  • कसरत के दौरान लेटते अवधि ( समय ) या हंसते अवधि ( समय ) रात्रि में खाँसी ( cough )
  • छाती में अकड़न के साथ सांस लेने में कष्ट
  • साँसों की अभाव
  • सांस लेते अवधि ( समय ) आवाज के साथ घरघराहट
  • कफ, बलगम के साथ सूखी या खाँसी ( cough )

Nameडाबर वसावलेहा (250 ग्राम)
Brandडाबर
MRP₹ 182
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), चूर्ण, अवलेहा और पाकी
Sizes250 ग्राम
Prescription RequiredNo
Length5.3 सेंटिमीटर
Width5.3 सेंटिमीटर
Height10.5 सेंटिमीटर
Weight273 ग्राम
Diseasesएलर्जी ( allergy ) रिनिथिस, फ्लू ( flu ) और ज्वर, ब्रोंकाइटिस ( श्वसनीशोथ ), दमा

डाबर वसावलेहा के बारे में

वासवलेह पॉलीहर्बल आयुर्वेदिक तैयारी है जिसका इस्तेमाल कफ, शीत, दमा और अनेक और ब्लीडिंग विकृतियों के उपचार के लिए किया जाता है। यह अर्ध-ठोस रूप में आयुर्वेदिक अवलेह है। वासवलेह बनाने के लिए सबसे पहले इसके स्वरों को जल में उबाल कर वासका का काढ़ा बनाया जाता है. वासा के काढ़े को छानकर उसमें शुगर डाली जाती है। इस मिश्रण ( mixture ) को पकाकर गाढ़ा किया जाता है। फिर इसे चूल्हे से हटा दिया जाता है और वासवलेह पाने के लिए पिप्पली चूर्ण और घी मिलाया जाता है इसे आम तौर पर चाट कर लिया जाता है।

डाबर वासवलेह की मटेरियल

  • वासा या अरुसा (अधतोदा वासिका) स्वर / ताजी पत्तियों का जूस
  • सीता या शुगर
  • Pippali
  • मधु या मधु
  • गौ घृत या घी

डाबर वसावलेह के इशारा

वासवलेह पांच नेचुरल अवयवों का सम्मिश्रण है जो श्वसन ( respiration ) प्रॉब्लम्स के उपचार के लिए जाने जाते हैं। अरुसा या वासा में एक्स्पेक्टोरेंट और ब्रोन्कोडायलेटर क्रिया होती है। आयुर्वेद ( ayurveda ) की परामर्श है कि इसका इस्तेमाल जटिल कफ, दमा और कफ के लिए करें। अरुसा की पत्तियों में प्रमुख क्विनाज़ोलिन एल्कलॉइड वैसीसिन होता है जो एक कड़वा ब्रोन्कोडायलेटर, श्वसन ( respiration ) उत्तेजक, हाइपोटेंशन ( hypotension ), कार्डियक डिप्रेसेंट, यूटरोटोनिक और गर्भपात करने वाला होता है। पिप्पली या लंबी काली मिर्च के फलों में एल्कलॉइड पाइपरिन होता है। पिपेरिन में एंटीसेप्टिक और एक्सपेक्टोरेंट गुण होते हैं। मधु ( honey ) में जीवाणुरोधी, रोगाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं। मधु ( honey ) और मिश्री दवा को मीठा स्वाद ( taste ) देते हैं। गाय के मिल्क के घी का भी बड़ा इलाज महत्व है।

वासवलेह किसी भी तरह की कफ, सांस की रोग, क्रोनिक कफ के उपचार के लिए सहायक दवा है। यह वायुपथ में स्वेलिंग (स्वेलिंग) में आराम देता है। यह क्रोनिक सांस की रोग में ज्यादा सहायक है। यह शिशुओं को मधु ( honey ) के साथ दिन में 3-4 बार कुक्कुर खनसी या काली कफ में भी दिया जाता है।

वसावलेह रक्तपित्त (ब्लीडिंग डिसऑर्डर), राजयक्ष्मा (तपेदिक), रक्तप्रदार, पाईल्स ( बवासीर ), ब्लडी पेचिश के ट्रीटमेंट ( treatment ) में भी सहायक है।

और परिस्थितियां जिनमें वासवलेहा का इशारा दिया गया है, वे हैं एंजाइना पेक्टोरिस और पार्श्व शुला (इंटरकोस्टल न्यूराल्जिया और प्लुरोडायनिया)।

डाबर वसावलेह की डोज़

  • 6-12 ग्राम दिन में एक या दो बार आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार।
  • इसे आमतौर पर मिल्क/मधु ( honey )/उष्ण जल के साथ दिया जाता है
  • 5 वर्ष से कम आयु के शिशुओं के लिए डोज़ - 1 - 2 ग्राम, दिन में एक या दो बार, एक चम्मच ( spoon ) मधु ( honey ) या उष्ण जल या मिल्क के साथ।
  • 5 से 12 वर्ष के शिशुओं के लिए डोज़ - 5 ग्राम दिन में एक या दो बार एक चम्मच ( spoon ) मधु ( honey ) या उष्ण जल या मिल्क के साथ।

डाबर वसावलेह के दुष्प्रभाव ( side effect )

  • इस औषधि के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव ( side effect ) नहीं हैं।
  • बहुत ज्यादा मात्रा ( quantity ) में, संभवतया ही कभी यह आमाशय में दाह पैदा कर सकता है।
  • डायबिटीज पेशेन्ट्स ( patient ) में इसका सेवन करते अवधि ( समय ) एहतियात बरतने की आवश्यकता है।