फ्लू ( flu ) और ज्वर
कारण
- विषाणु इनफ़ेक्शन
- बैक्टीरिया इनफ़ेक्शन
- यकायक ठंडी सूखा हवाओं के कांटेक्ट में आना
- कम इम्युनिटी
लक्षण
- बॉडी ( body ) में पीड़ा और शीत लगना
- बहुत थकान/निर्बलता
- भूख में अभाव
- घुमेरी ( dizziness ) आना
- मांसपेशियों ( muscles ) और जॉइंट्स का पीड़ा
- कफ, बलगम के साथ कफ
- कंठनली में खरास
- सरदर्द
सरदर्द और अधकपारी
कारण
- सूर्य के कांटेक्ट में
- तनाव
- स्त्रियों में हार्मोनल ( hormonal ) परिवर्तन
- निद्रा का पैटर्न है बदलाव
- फैमिली के हिस्ट्री
- पर्यावरणीय स्थितिओं में परिवर्तन
- रहन-सहन में बदलाव
- मसालों से भरा/जंक फूड का ज्यादा सेवन और मदिरा का सेवन
लक्षण
- धुंधली नजर के साथ उल्टी और मतली
- माथे या मस्तिष्क के प्रदेश में आंशिक पीड़ा
- भूख में अभाव
- आमाशय बुरा
- निर्बलता के साथ गर्दन ( neck ) में अकड़न
- शोर, ध्वनि और स्मेल के प्रति संवेदनशीलता ( sensitivity )
- सुन्नता ( numbness ) के साथ सरदर्द और काम करने की चाह न होना
Name | धूतपापेश्वर शिरहशूलाद्री वज्र जूस (60 टैब) |
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Brand | Dhootapapeshwar |
MRP | ₹ 202 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर |
Sizes | 60tab |
Prescription Required | No |
Length | 0 सेंटिमीटर |
Width | 0 सेंटिमीटर |
Height | 0 सेंटिमीटर |
Weight | 0 ग्राम |
Diseases | फ्लू ( flu ) और ज्वर, सरदर्द और अधकपारी |
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धूतपापेश्वर शिराशुलदिवाजरा रासो के बारे में
शिराशुलदिवाजरा जूस एक जड़ी-बूटी वाली आयुर्वेदिक दवा है। यह शिरोरोग (मस्तिष्क का बीमारी) के ट्रीटमेंट ( treatment ) में सहायक है। इसका संदर्भ भैषज्य रत्नावली, शिरोरोगधिकारा से मिलता है। इसमें शुद्ध ( pure ) पारद, शुद्ध ( pure ) गंधक, लौहा भस्म, शुद्ध ( pure ) गुग्गुलु, त्रिफला चूर्ण, मुलेठी, पिप्पली, सोंठ, गोखरू, दशमूल क्वाथ और अनेक और मेडिसिनल जड़ी-बूटियाँ शामिल हैं। शिराशुलदिवाजरा जूस जीर्ण सरदर्द, अधकपारी, तनाव सरदर्द और और तरह के सरदर्द में आराम देता है। सरदर्द।
Ingredients of Dhootapapeshwar Shirashuladivajra Ras
- शुद्ध ( pure ) पारा - शुद्ध ( pure ) और संसाधित बुध
- शुद्ध ( pure ) गंधक - शुद्ध ( pure ) और संसाधित सल्फर
- लोहा भस्म - लोहे की भस्म (कैल्क्स)
- ताम्र भस्म - तांबे की भस्म (कैल्क्स)
- गुग्गुलु - इंडियन बेदेलियम (राल) - कमिफोरा मुकुली
- त्रिफला - टर्मिनलिया चेबुला (हरिताकी), टर्मिनालिया बेलिरिका (विभीतकी) और फाइलेन्थस एम्ब्लिका (आंवला)
- कुश्ता - सौसुरिया लप्पा
- यष्टिमधु - लीकोरिस - ग्लाइसीराइज़ा ग्लोब्रा
- काना - लंबी मिर्च (फल) - मुरलीवाला लोंगम
- शुंटी - जिंजर ( ginger ) (प्रकंद) - जिंजिबर ऑफिसिनैलिस
- गोक्षुरा - स्मॉल बछड़े (पूरा पौधा) - ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस
- विदंगा - झूठी काली मिर्च (फल) - एम्बेलिया रिब्स
- बिल्वा - बेल (जड़) - एगल मार्मेलोस
- अग्निमंथा - प्रेमना कोरिंबोसा / म्यूक्रोनाटा रूट
- श्योनका - ओरोक्सिलम इशारा
- गंभरी - कोम्ब टीक (जड़) - गमेलिना अर्बोरिया
- पाताल - तुरही (जड़) - स्टेरोस्पर्मम सुवेओलेंस
- शालापर्णी - जड़ - डेस्मोडियम गैंगेटिकम
- पृष्निपर्णी - जड़ - उररिया छबि
- बृहती - इंडियन नाइटशेड (जड़) - सोलनम इशारा
- कंटकारी - पीली बेरी वाली रात्रि की छाया (पूरा पौधा) - सोलनम ज़ैंथोकार्पुम
- गोक्षुरा - स्मॉल बछड़े (पूरा पौधा) - ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस
- दशमूल का काढ़ा
- घृत - गाय का घी
धूतपापेश्वर शिराशुलदिवाजरा जूस के फायदा
- यह भिन्न-भिन्न वजहों से सरदर्द में इशारा दिया गया है।
- इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी ( inflammatory ) गुण होते हैं।
- यह पीड़ा, स्वेलिंग और मांसपेशियों ( muscles ) की मरोड़ में आराम देता है।
- इससे साइनोसाइटिस में आराम मिलता है।
- यह बॉडी ( body ) और ब्रेन को शक्ति प्रोवाइड करता है।
Indications of Dhootapapeshwar Shirashuladivajra Ras
- धूप के कारण सरदर्द
- साइनोसाइटिस के कारण सरदर्द
- बहुत काम, निद्रा की अभाव, तनाव आदि के कारण सिरदर्द।
- आधासीसी, मस्तिष्क में एक तरफ पीड़ा/आधाशीष
- वात/पित्त/कफ, बलगम की अधिकता के कारण सरदर्द
Dosage of Dhootapapeshwar Shirashuladivajra Ras
एक से दो टेबलेट्स ( tablets ), दिन में एक या दो बार, आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार। इसे बकरी के मिल्क, मधु ( honey ) या जल के साथ लेने की परामर्श दी जाती है।
Precautions of Dhootapapeshwar Shirashuladivajra Ras
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें वजनी धातु मटेरियल होती है।
- इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
- ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
- शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
- सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।