Dhootapapeshwar Shoolavajrini Vati (60tab)

  • Home
  • धूतपापेश्वर शुलवज्रिनि वटी (60टैब)
shape1
shape2
shape3
Dhootapapeshwar Shoolavajrini Vati (60tab)

बदहजमी/अम्ल/गैस

कारण

  • खा
  • चिंता ( anxiety )
  • लगातार व्रत
  • मसालों से भरा आहार ( food ) का ज्यादा सेवन
  • पीड़ा निरोधक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) अम्लता ( खट्टापन ) का कारण बन सकते हैं

लक्षण

  • ऊपरी आमाशय में आकुलता ( बेचैनी )
  • आमाशय पीड़ा और परिपूर्णता की मनोवृत्ति
  • उल्टी
  • मतली के एपिसोड
  • स्वेलिंग की अनुभूति

Nameधूतपापेश्वर शुलवज्रिनि वटी (60टैब)
BrandDhootapapeshwar
MRP₹ 158
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), वटी, गुटिका और गुग्गुलु
Sizes60tab
Prescription RequiredNo
Length0 सेंटिमीटर
Width0 सेंटिमीटर
Height0 सेंटिमीटर
Weight0 ग्राम
Diseasesबदहजमी/अम्ल/गैस

धूतपापेश्वर शूलवारजिनी (वज्रिनी) वाटिक के बारे में

धूप्तपेश्वर की स्थापना स्वतंत्रता पूर्व महाराष्ट्र राज्य में हुई थी। इसने स्वत: को आयुर्वेद ( ayurveda ) मार्किट में एक अद्वितीय उत्पाद ( product ) के रूप में आधारित किया है। गठन के हर एक पड़ाव में उन्नत फार्मास्युटिकल प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के साधन से बैच से बैच प्रदर्शन और पूर्ण शुद्धता और सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता है। हर्बल सेहत देखरेख प्रोडक्ट्स के डिजाइन, गठन और विपणन के लिए आईएसओ 9001: 2000 प्रमाणन प्रोवाइड किया गया। धूप्तपेश्वर फार्मास्युटिकल-श्रेणी आयुर्वेद ( ayurveda ) उत्पाद ( product ) बनाने के लिए आधुनिक विज्ञान के उपकरणों का इस्तेमाल करता है। आज, इन प्रोडक्ट्स को ट्रीटमेंट ( treatment ) बिरादरी के साथ स्वीकृति मिली है और वैश्विक बाजारों में उपभोक्ताओं की सेहत और निजी देखरेख की जरूरतों को पूरा करते हैं। .

शूलवारजिनी बाटी जड़ी-बूटियों की आयुर्वेदिक औषधि है जिसका इस्तेमाल हाज़मा तंत्र से रिलेटेड प्रॉब्लम ( problem ) के उपचार के लिए किया जाता है। यह दवा आमाशय पीड़ा, आमाशय की गैस और सब के सब तरह के उदरशूल में लाभकारी होती है।

शूलवारजिनी बाटी बॉडी ( body ) से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायता करती है और हाज़मा शक्ति में इम्प्रूवमेंट करती है।

धूतपापेश्वर शूलवारजिनी (वज्रिनी) वटी की मटेरियल

कज्जलि

लौह भस्म

हिंग

टैंकन

त्रिकटु

त्रिफला

Jaiphal

शंख भस्म

धूतपेश्वर शूलवारजिनी (वज्रिनी) वाटिक के इशारा

आमाशय में पीड़ा

चरस

तिल्ली का बढ़ना

आमाशय में बहुत गैस

सब के सब तरह के कोलिक

धूतपापेश्वर शूलवारजिनी (वज्रिनी) वाटिक की डोज़

1 से 2 टैबलेट ( tablet ) दिन में दो बार जल के साथ।

धूतपेश्वर शूलवारजिनी (वज्रिनी) वाटिक की सतर्कता

1. शिशुओं की नजर और पहुंच से दूर रहें।

2. यह शक्ति में उष्ण होता है। इसलिए पित्त बीमारी, अति अम्लता ( खट्टापन ), ब्लीडिंग डिसऑर्डर और अल्सर ( ulcer ) से दुःखित लोगों को इसका सेवन एहतियात से करना चाहिए।

3. इसमें इमेनगॉग क्रिया है। प्रेग्नेंसी ( pregnency ) के दौरान इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

4. इसे केवल रिकमंडेड डोज़ में ही लिया जाना चाहिए। हाई डोज़ सब के सब दोषों की दाह और बुरा होने का कारण बनती है। इसमें गुड़ होता है और इसलिए यह डायबिटीज पेशेन्ट्स ( patient ) के लिए उचित नहीं है।

6. स्व-औषधि न करें।