Name | Baidyanath Krimimudgar Ras (40tab) |
---|---|
Brand | Baidyanath |
MRP | ₹ 80 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर |
Sizes | 40टैब |
Prescription Required | No |
Length | 3.7 सेंटिमीटर |
Width | 3.7 सेंटिमीटर |
Height | 5.8 सेंटिमीटर |
Weight | 16 ग्राम |
You might also like:
Krimimudgar Ras के बारे में
कृमि के इनफ़ेक्शन से आमाशय में पीड़ा, चेहरे पर श्वेत धब्बे और मतली हो सकती है। यह साधारण उन्नति को प्रभावित करता है और शिशुओं में कुपोषण का कारण बन सकता है। यही कारण है कि चिकित्सक आयु के पहले साल के बाद हर छह माह के बाद डीवर्मिंग की परामर्श देते हैं। संस्कृत में 'क्रिमी' का मतलब है कीड़ा और 'मुदगर' का मतलब है हथौड़ा। यह औषधि आंतों के परजीवी ( parasite ) को बाहर निकालती है। इस औषधि को कृमी या क्रामी मुदगर जूस के रूप में भी लिखा जाता है
क्रिमी मुदगर जूस एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो भिन्न-भिन्न स्वास्थ्यवर्धक इलाज एजेंटों से ज्यादा है। इसमें शुद्ध ( pure ) गंधक, शुद्ध ( pure ) पारा, अजमोड़ा, मधु ( honey ) और विदंगा प्रमुख मूल तत्व हैं। कृमी मुदगर जूस आमतौर पर आंतों के कीड़ों के ट्रीटमेंट ( treatment ) में उपयोग किया जाता है। हाज़मा में इम्प्रूवमेंट और बदहजमी से रिलेटेड सब के सब समस्याओं के उपचार के लिए कृमि मुदगर जूस का इस्तेमाल करने पर भी कल्पना कर सकते हैं। इसमें ज्वर और इसके नतीजों का उपचार करने की योग्यता भी हो सकती है। घुमेरी ( dizziness ) आना, उल्टी, थकान, मतली और साधारण कमजोरी ऐसे मुद्दे हैं जहां क्रिमी मुदगर रास अपना बहुत बड़ा प्रभाव ( effect ) दिखा सकता है। कभी-कभी हिचकी बेहद कष्टप्रद हो सकती है लेकिन इस तरह की जटिलता को क्रिमी मुदगर जूस के साथ प्रभावशाली शैली से प्रशासित किया जा सकता है। लोगों ने इसे छींकने से रोकने में भी लाभकारी पाया है। इस औषधि का सेवन केवल सख्त औषधीय निगरानी में ही किया जाना चाहिए क्योंकि इससे कुछ विपरीत प्रभाव ( effect ) हो सकते हैं। प्रेग्नेंट और स्तनपान ( breastfeeding ) कराने वाली स्त्रियों को ऐसी औषधि से बचना चाहिए।
कृमिमुदगर रसो की मटेरियल
- मधु
- शुद्ध ( pure ) परेड (हर्बल शुद्ध ( pure ) बुध)
- शुद्ध ( pure ) गंधक (हर्बल शुद्ध ( pure ) सल्फर)
- अजमोडा (ट्रेचिस्पर्मम रॉक्सबर्गियनम)
- विदंगा (एम्बेलिया रिब्स)
- सुधा कुछला (नक्स वोमिका)
- पलाशा (ब्यूटिया मोनोस्पर्मा)
कृमिमुदगर रसो के इशारा
- आमाशय में ऐंठन
- अम्लता ( खट्टापन ) प्रचंड भूख
- खून की कमी और पीला चेहरा
- स्वेलिंग
- कफ के कीड़े
- नेत्रों के नीचे काले घेरे
- सांसों की दुर्गंध
- ज्वर
- गैस और डायरिया
- मस्तिष्क पीड़ा
- गुदा में खारिश जो लाल हो सकती है
- आंतों में रुकावट
- भूख में अभाव
- उल्टी
- साँसों की अभाव
- मतली
- चेहरे पर श्वेत धब्बे
- पाखाना में कीड़े
- काली कफ
कृमिमुदगर जूस के प्रमुख उपयोग
- यह आंतों के कीड़ों के इनफ़ेक्शन में सहायक है।
- यह हाज़मा शक्ति में इम्प्रूवमेंट करता है।
कृमिमुदगर रसो की डोज़
एक या दो टैबलेट ( tablet ) दिन में एक या दो बार, आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार। इसे पारंपरिक रूप से मुस्ता के मधु ( honey ) या कषाय के साथ दिया जाता है।
कृमिमुदगर जूस की सतर्कता
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें शुद्ध ( pure ) पारा घटक के रूप में होता है।
- इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
- ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
- शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
- सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।