फ्लू ( flu ) और ज्वर
कारण
- विषाणु इनफ़ेक्शन
- बैक्टीरिया इनफ़ेक्शन
- यकायक ठंडी सूखा हवाओं के कांटेक्ट में आना
- कम इम्युनिटी
लक्षण
- बॉडी ( body ) में पीड़ा और शीत लगना
- बहुत थकान/निर्बलता
- भूख में अभाव
- घुमेरी ( dizziness ) आना
- मांसपेशियों ( muscles ) और जॉइंट्स का पीड़ा
- कफ, बलगम के साथ कफ
- कंठनली में खरास
- सरदर्द
सरदर्द और अधकपारी
कारण
- सूर्य के कांटेक्ट में
- तनाव
- स्त्रियों में हार्मोनल ( hormonal ) परिवर्तन
- निद्रा का पैटर्न है बदलाव
- फैमिली के हिस्ट्री
- पर्यावरणीय स्थितिओं में परिवर्तन
- रहन-सहन में बदलाव
- मसालों से भरा/जंक फूड का ज्यादा सेवन और मदिरा का सेवन
लक्षण
- धुंधली नजर के साथ उल्टी और मतली
- माथे या मस्तिष्क के प्रदेश में आंशिक पीड़ा
- भूख में अभाव
- आमाशय बुरा
- निर्बलता के साथ गर्दन ( neck ) में अकड़न
- शोर, ध्वनि और स्मेल के प्रति संवेदनशीलता ( sensitivity )
- सुन्नता ( numbness ) के साथ सरदर्द और काम करने की चाह न होना
Name | उंझा गोदंती भस्म (10 ग्राम) |
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Brand | उंझा |
MRP | ₹ 76 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), Bhasm & Pishti |
Sizes | 10 ग्राम |
Prescription Required | No |
Length | 3 सेंटिमीटर |
Width | 3 सेंटिमीटर |
Height | 6.6 सेंटिमीटर |
Weight | 19 ग्राम |
Diseases | फ्लू ( flu ) और ज्वर, सरदर्द और अधकपारी |
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गोदंती भस्म . के बारे में
गोदंती भस्म एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसे जिप्सम से तैयार किया जाता है। इसका इस्तेमाल सरदर्द, जीर्ण ज्वर, प्रदर आदि के आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ( treatment ) में किया जाता है। इस औषधि को केवल औषधीय निगरानी में ही लेना चाहिए।
गोदंती भस्म की मटेरियल
- गोदंती जिप्सम CaSO4 2H2o (कैल्शियम ( calcium ) सल्फेट)
- Chandan Ark
- Dharit Kumari
गोदंती भस्म के इशारा:
गोदंती भस्म आयुर्वेदिक प्रशिक्षण में जरूरी योगदान निभाती है और यह भिन्न-भिन्न सेहत समस्याओं में सहायक है जो नीचे दी गई हैं:
- यह जीर्ण ज्वर, आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर में बहुत कारगर है।
- यह सरदर्द को कम करता है और यह अधकपारी और ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में लाभदायक होता है।
- यह प्रदर में सहायक है और यह स्त्रियों के रिप्रोडक्शन अंगों के श्वेत डिस्चार्ज और स्वेलिंग को कम करता है।
- माहवार धर्म के दौरान होने वाले मेनोरेजिया (वजनी ब्लीडिंग) में यह सहायक है।
- यह कैल्शियम ( calcium ) सप्लीमेंट के रूप में काम करता है और ऑस्टियोपोरोसिस ( osteoporosis ), पीठ ( back ) पीड़ा और रिकेट्स जैसे कैल्शियम ( calcium ) की अभाव के विकृतियों में सहायता करता है।
- इसका इस्तेमाल गैस्ट्रिक ( gastric ) अल्सर ( ulcer ), दस्त, पेचिश और हाइपरएसिडिटी जैसी गैस्ट्रिक ( gastric ) प्रॉब्लम्स के उपचार के लिए किया जाता है।
- यह दाह में भी सहायक है
गोदंती (जिप्सम) की अच्छी किस्म की विशेषताएं
चमकदार परतों में पाई जाने वाली गोदंती मेडिसिनल प्रयोजन के लिए अपेक्षित है। इसमें क्रिस्टल श्वेत कलर और शरद ऋतु के चंद्रमा (शरथ ऋतु) की तरह चमकदार चमक होनी चाहिए।
आयुर्वेद ( ayurveda ) के अनुरूप ( accordingly ), इलाज प्रयोजनों के लिए इसकी स्वीकृति से पहले इसे शुद्ध ( pure ) किया जाना चाहिए।
गोदंती भस्म के गुण
गोदंती भस्म शीतल स्वभाव की होती है। तो, यह पित्त इम्बैलेंस ( असंतुलन ) विकृतियों के ट्रीटमेंट ( treatment ) में पसंद किया जाता है।
स्पेशल रूप से जॉन्डिस, पित्ती के ददोड़े, ज्वर आदि में यह सिद्ध प्रभावकारी है।
इसके शीतलक गुणों के कारण, इसका इस्तेमाल बॉडी ( body ) के हाई टेंपेरेचर ( temperature ) के साथ सरदर्द से जुड़े ज्वर में किया जाता है।
गोदंती भस्म के फायदा और मेडिसिनल इस्तेमाल
गोदंती भस्म की आयुर्वेदिक प्रशिक्षण में जरूरी योगदान है क्योंकि यह पेरासिटामोल के रूप में काम करती है और ज्वर को फ़ौरन कम करती है। इसका प्रभाव 30 मिनट से 2 घंटे के अंदर ज्वर और मस्तिष्क पीड़ा में दिखने लगता है।
गोदंती भस्म की प्रमुख क्रिया ब्रेन, ब्लड वाहिकाओं और फेफड़ों पर होती है। यह आयुर्वेदिक दुनिया में ज्वर और इनफ़ेक्शन के प्रबंधन के लिए जाना जाता है। आइए इसके मेडिसिनल उपयोगों और सेहत फायदों के बारे में चर्चा करते हैं।
ज्वर (अनेक मूल)
ज्वर के अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन हर एक मरीज को टेंपेरेचर ( temperature ) कम करने के लिए गोदंती भस्म दी जाती है। यह आमतौर पर ज्वर को कम करने के लिए सुदर्शन चूर्ण या सुदर्शन घनवती के साथ उपयोग किया जाता है। कभी-कभी, प्रवाल पीठ ( back ) को भी तुरन्त नतीजा प्राप्त करने की जरूरत होती है, विशेषकर जब मरीज बॉडी ( body ) में संजीदा पीड़ा और आकुलता ( बेचैनी ) की कष्ट करता है।
आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर
नीम के पत्तों के जूस से बनी गोदंती भस्म आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर में लाभकारी होती है। तेज़ अवस्था में, जब मरीज को तेज ज्वर हो, तो इसे और आयुर्वेदिक औषधियों के साथ सात दिनों तक उपयोग किया जा सकता है।
यह आंत्र ज्वर ( typhoid ) ज्वर के जीर्ण पड़ाव में भी लाभदायक होता है, जब मरीज को निम्न श्रेणी का ज्वर होता है। इस केस में, निम्नलिखित सम्मिश्रण मददगार होता है।
- नीम गोदंती-500 मिलीग्राम ( mg )
- Praval Pisthi-500 mg
- सितोपलादि चूर्ण-1.5 ग्राम
- गिलोय सत-250 मिलीग्राम ( mg )
मरीज मधु ( honey ) के साथ दिन में दो या तीन बार डोज़ दोहरा सकता है। सूखी कफ में भी यह लाभदायक है।
हाइपोकैल्सीमिया
हाइपोकैल्सीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें सीरम कैल्शियम ( calcium ) का स्तर कम होता है। गोदंती भस्म से कैल्शियम ( calcium ) बहुत अवशोषित होता है। अकेले गोदंती भस्म सीरम कैल्शियम ( calcium ) के स्तर को बढ़ाने में सहायता कर सकती है। इसके प्रभाव ( effect ) को प्रबल करने के लिए निम्न सम्मिश्रण ज्यादा लाभकारी हो सकता है।
- गोदंती भस्म-500 मिलीग्राम ( mg )
- प्रवाल पिष्टी-250 मिलीग्राम ( mg )
- Mukta Shukti Pishti-250 mg
सरदर्द
गोदंती भस्म सरदर्द को कम करती है और यह अधकपारी और ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में लाभदायक है। मस्तिष्क पीड़ा में इसका उपयोग अकेले या मिश्री (शुगर) के साथ किया जा सकता है।
- गोदंती भस्म-500 मिलीग्राम ( mg )
- गिलोय सत-500 मिलीग्राम ( mg )
- मिश्री (पाउडर के रूप में) - 2 ग्राम
उपरोक्त उपायों को दी गई मात्रा ( quantity ) में मिलाकर दिन में दो बार जल के साथ लेना चाहिए। तेज पीड़ा में इस मिश्रण ( mixture ) को दिन में 3 से 4 बार ले सकते हैं।
अधकपारी और ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया
अधकपारी और ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की स्थिति में गोदंती भस्म को गाय के घी और मिश्री (शुगर) के साथ लेना चाहिए। मरीज को इन बिमारियों के समुचित ट्रीटमेंट ( treatment ) के लिए और आयुर्वेदिक औषधियों की भी जरूरत हो सकती है। इन औषधियों में सुतशेखर जूस और शिर शुलदी वज्र जूस शामिल हैं।
प्रदर और योनिशोथ
गोदंती भस्म स्त्रियों के रिप्रोडक्शन अंगों के श्वेत डिस्चार्ज और स्वेलिंग को कम करती है। इस बीमारी के लिए निम्न मिश्रण ( mixture ) का उपयोग किया जाता है।
- नीम गोदंती-500 मिलीग्राम ( mg )
- जीरा पाउडर-1 ग्राम
- मजूफल पाउडर -500 मिलीग्राम ( mg )
- Supari Pak-2 grams
बहुत गर्भाशय ब्लीडिंग
ऐसी स्थिति में गोदंती भस्म के मिश्रण ( mixture ) का इस्तेमाल किया जाता है। इस मिश्रण ( mixture ) में शामिल हैं:
- नीम गोदंती-500 मिलीग्राम ( mg )
- आंवला पाउडर-2 ग्राम
- Psyllium भूसी-2 ग्राम
गोदंती भस्म की डोज़
250 मिलीग्राम ( mg ) दिन में एक या दो बार आहार ( food ) से पहले या बाद में या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार।
इसे पारंपरिक रूप से घी, मधु ( honey ) के मिल्क या शुगर के साथ दिया जाता है।
- उम्र ग्रुप (0 से 3 माह) -65 मिलीग्राम ( mg ) से 125 मिलीग्राम ( mg )
- उम्र ग्रुप (3 माह से 1 साल) -125 मिलीग्राम ( mg ) से 175 मिलीग्राम ( mg )
- उम्र ग्रुप (1 साल से 5 साल) -125 मिलीग्राम ( mg ) से 250 मिलीग्राम ( mg )
- उम्र ग्रुप (5 साल से ऊपर) -250 मिलीग्राम ( mg ) से 500 मिलीग्राम ( mg )
- उम्र ग्रुप (वयस्क) -500 मिलीग्राम ( mg ) से 1 ग्राम
दुष्प्रभाव ( side effect )
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है।
- ज्यादा डोज़ से गैस्ट्राइटिस, माहवार धर्म में ब्लीडिंग आदि के साथ संजीदा दुष्प्रभाव ( side effect ) हो सकते हैं।
बच्चे, प्रेग्नेंसी ( pregnency ) और स्तनपान ( breastfeeding )
प्रेग्नेंसी ( pregnency ) और बच्चों के दौरान इससे बचना सबसे बढ़िया है। इसे स्तनपान ( breastfeeding ) कराने वाली मां और शिशुओं में कम मात्रा ( quantity ) में दिया जा सकता है। लेकिन इसके लिए किसी आयुर्वेद ( ayurveda ) डॉक्टर से सीधा सलाह अनिवार्य है।