बदहजमी/अम्ल/गैस
कारण
- खा
- चिंता ( anxiety )
- लगातार व्रत
- मसालों से भरा आहार ( food ) का ज्यादा सेवन
- पीड़ा निरोधक एंटीबायोटिक्स ( antibiotics ) अम्लता ( खट्टापन ) का कारण बन सकते हैं
लक्षण
- ऊपरी आमाशय में आकुलता ( बेचैनी )
- आमाशय पीड़ा और परिपूर्णता की मनोवृत्ति
- उल्टी
- मतली के एपिसोड
- स्वेलिंग की अनुभूति
Name | उंझा जलोदरारी जूस (10 ग्राम) |
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Brand | उंझा |
MRP | ₹ 115 |
Category | आयुर्वेद ( ayurveda ), रास और सिंदूर |
Sizes | 10 ग्राम |
Prescription Required | No |
Length | 3 सेंटिमीटर |
Width | 3 सेंटिमीटर |
Height | 6.6 सेंटिमीटर |
Weight | 19 ग्राम |
Diseases | बदहजमी/अम्ल/गैस |
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जलोदरारी रासु के बारे में
जलोदररी जूस जलोदर या जलोदर के उपचार के लिए दी जाने वाली जड़ी-बूटी वाली आयुर्वेदिक औषधि है। जलोदर (ग्रीक मूल शब्द ( word ) का मतलब बैग) बीमारी रिलेटिव स्थिति है जिसमें उदर गुहा के भीतर बहुत द्रव तत्त्व जमा हो जाता है।
Ingredients of Jalodarari Ras
- पिप्पली - लंबी मिर्च फल - पाइपर लोंगम - हाज़मा बढ़ाता है, गैस और स्वेलिंग को कम करता है, बॉडी ( body ) को डिटॉक्सीफाई करता है, श्वसन ( respiration ) प्रॉब्लम्स में सहायक, खून की कमी को फायदा, नर्व तंत्र के विकृतियों को कम करता है (चिंता ( anxiety ), भय और चिंता ( anxiety )), भार प्रबंधन में सहायता करता है, अनिद्रा ( insomnia ) में सहायक, में सहायक आमवात यकृत ( liver ), पित्ताशय और तिल्ली की प्रॉब्लम्स में लाभदायक,
- मारीच - काली मिर्च - मुरलीवाला नाइग्रम - इसमें वायुनाशक क्रिया होती है और इसका इस्तेमाल आमाशय फूलना, गैस, स्वेलिंग और बदहजमी में किया जाता है। इसका इस्तेमाल में भी किया जाता है आमवात बिमारियों और पक्षाघात । यह उष्ण होता है और के लक्षणों को दूर करने में सहायता करता है शीत और कफ । यह उत्तेजित ( excited ) करता भूख को है, बदहजमी और उल्टी में आराम देता है । हैजा की स्थिति में यह मतली बंद कर देता है। काली मिर्च में संकेतित है बदहजमी, आमाशय फूलना, सूजाक, खाँसी ( cough ), पाईल्स ( बवासीर ), रुक-रुक कर होने वाले ज्वर, पाईल्स ( बवासीर ), एलिफेंटियासिस और मलेरिया / इंटरमिटेंट ज्वर ।
- ताम्र भस्म - तांबे से बनी भस्म - ताम्र भस्म एक आयुर्वेदिक दवा है, जो तांबे से तैयार की जाती है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए किया जाता है, इस तरह भिन्न-भिन्न विकृतियों स्किन बिमारियों, लीवर ( liver ) बीमारी, खून की कमी, भार प्रबंधन, हिचकी, आमाशय की दूरी, अम्लता ( खट्टापन ) आदि में सहायता करता है। इस औषधि को केवल औषधीय निगरानी में सख्ती से लिया जाना चाहिए।
- रजनी - हल्दी (प्रकंद) - करकुमा लोंगा - हल्दी अनेक श्वसन ( respiration ) परिस्थितियों (जैसे, दमा, ब्रोन्कियल मरोड़, एलर्जी ( allergy )), लीवर ( liver ) डिसऑर्डर, एनोरेक्सिया, आमवात, डायबिटीज के ज़ख्म, कफ और साइनस ( sinus ) इनफ़ेक्शन के लिए एक प्रसिद्ध ट्रीटमेंट ( treatment ) है। इंडियन उपमहाद्वीप में ज़ख्म भरने के लिए हल्दी का मेडिसिनल महत्व है। पारंपरिक शुगर ट्रीटमेंट ( treatment ) में, हल्दी का इस्तेमाल आमाशय पीड़ा का कारण बनने वाली परिस्थितियों के उपचार के लिए किया जाता है। ट्यूमरिक स्वेलिंग को कम कर सकता है और इसका इस्तेमाल मोच और स्वेलिंग के उपचार के लिए किया जाता था
- Jaipala - Croton tiglium - लिए उपयोग किया जाता है डायरिया , उल्टी , आमाशय में मरोड़ और पीड़ा, और आंतों की गैस के । उनका इस्तेमाल के उपचार के लिए भी किया जाता है कर्कट ( cancer ) , गुर्दे की रोग और सोने में समस्या ( अनिद्रा ( insomnia ) ) ; माहवार धर्म फ्लो में वृद्धि; कारण गर्भपात का ; एक मतिभ्रम के रूप में; और एक साधारण टॉनिक के रूप में।
- स्नूही क्षीरा
जलोदरारी के इशारा
- जलोदर / जलोदर / जलोदर
- यकृत ( liver ) के बीमारी
- आमाशय की रोग
- ताकतवर रेचक
डोज़ का जलोदरारी जूस
एक से दो टेबलेट्स ( tablets ), दिन में एक या दो बार, जल के साथ या आयुर्वेदिक डॉक्टर के निर्देशानुसार।
जलोदरारी रसो की सतर्कता
- इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें वजनी धातु मटेरियल होती है।
- इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
- ज्यादा डोज़ से संजीदा जहरीला प्रभाव ( effect ) हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी ( pregnency ), स्तनपान ( breastfeeding ) और शिशुओं में इससे बचना सबसे बढ़िया है।
- शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
- सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।