Unjha Mandur Bhasma (10g)

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Unjha Mandur Bhasma (10g)

रक्त की अभाव

कारण

  • आयरन की पुष्टिकारक तत्वों की अभाव
  • आयरन का बुरा समावेश
  • वजनी औषधि पर आदमी
  • माहवार धर्म और बहुत ब्लीडिंग डिसऑर्डर
  • खून की कमी का पारिवारिक हिस्ट्री

लक्षण

  • निर्बलता और सुस्ती महसूस होना
  • हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) का निम्न स्तर
  • भूख में अभाव
  • बालों ( hair ) का झड़ना
  • पीलापन और भंगुर नाखून ( nails )
  • सरलता से थक जाता है
  • सहनशक्ति की अभाव
  • अनियमित ( irregular ) हृदय की हार्टबीट के साथ सरदर्द

NameUnjha Mandur Bhasma (10g)
Other NamesMandoor Bhasma
Brandउंझा
MRP₹ 65
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), Bhasm & Pishti
Sizes10 ग्राम
Prescription RequiredNo
Length3 सेंटिमीटर
Width3 सेंटिमीटर
Height6.6 सेंटिमीटर
Weight19 ग्राम
Diseasesरक्त की अभाव

मंदुर भस्म . के बारे में

मंडूर भस्म (मंडूर भस्म के रूप में भी लिखा जाता है) एक आयुर्वेदिक कैलक्लाइंड आयरन फॉर्मूलेशन है। पुराना लोहे का जंग एक कच्चा माल है जिसका इस्तेमाल मंदूर भस्म के गठन के लिए किया जाता है। केमिकल ( chemical ) रूप से, यह फेरिक ऑक्साइड (लाल आयरन ऑक्साइड) है। मंडूर भस्म आयरन की अभाव से होने वाले खून की कमी (माइक्रोसाइटिक खून की कमी) और खून की कमी से जुड़ी कमजोरी के लिए पसंद की औषधि है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में, इसका इस्तेमाल एमेनोरिया (अनुपस्थित अवधि), कष्टार्तव, जॉन्डिस (हेमोलिटिक जॉन्डिस) और लीवर ( liver ) और प्लीहा विकृतियों के लिए भी किया जाता है।

मटेरियल (रचना)

  • पुराना लोहे का जंग (फेरिक ऑक्साइड या लाल लोहे का ऑक्साइड)
  • त्रिफला काढ़ा
  • गाय का पेशाब
  • एलोवेरा जूस

मेडिसिनल गुण

मंडूर भस्म में निम्नलिखित ट्रीटमेंट ( treatment ) गुण हैं।

  • हेमेटिनिक (हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) के स्तर को बढ़ाता है)
  • हेमटोजेनिक (लाल ब्लड कोशिकाओं के गठन में सहायता करता है)
  • कृमिनाशक
  • कामिनटिव
  • हाज़मा उत्तेजक
  • इमेनगॉग
  • चिकनाई दाहक
  • hypo-ग्लाइसेमिक
  • बिलीरुबिन को कम करता है

प्रमुख इशारा

  • रक्ताल्पता
  • स्प्लेनोमेगाली - प्लीहा वृद्धि
  • हेपेटोमेगाली - जिगर ( liver ) इज़ाफ़ा
  • जियोफैगिया के कारण खून की कमी - पृथ्वी का आहार ( food )
  • एमेनोरिया - आयरन की अभाव से होने वाले खून की कमी से जुड़ा हुआ है
  • कष्टार्तव
  • मेट्रोरहागिया - बहुत ब्लड नुक्सान
  • जॉन्डिस
  • भूख में अभाव
  • साधारण कमजोरी - स्पेशल रूप से रक्ताल्पता से जुड़ी
  • आकुलता ( बेचैनी ) के साथ पुराना ज्वर (99°F)
  • Rickets – along with Praval Pishti or Mukta Pishti and Giloy Sat
  • हेमोलिटिक जॉन्डिस

फायदा और मेडिसिनल इस्तेमाल

मंडूर भस्म प्रमुख रूप से आयरन सप्लीमेंट है, लेकिन और रोगों में भी इसके मूल्यवान इलाज फायदा हैं। आयुर्वेद ( ayurveda ) में और उपचारों के साथ, यह जॉन्डिस, डायरिया, चिड़चिड़ा आंत सिंड्रोम ( syndrome ), बदहजमी, कृमि इनफ़ेक्शन और शिराओं के पीड़ा के लिए विस्तृत रूप से इस्तेमाल किया जाता है। यहाँ मंडूर भस्म के कुछ जरूरी मेडिसिनल इस्तेमाल और फायदा दिए गए हैं।

रक्ताल्पता

मंडूर भस्म आयरन की अभाव से होने वाले खून की कमी या माइक्रोसाइटिक खून की कमी के लिए प्रभावशाली है। इसे जड़ी-बूटियों के साथ संसाधित किया जाता है और हाई टेंपेरेचर ( temperature ) के अंतर्गत कैलक्लाइंड किया जाता है, जो बॉडी ( body ) में मंडूर भस्म से लोहे की जैव उपलब्धता को बढ़ाता है और इसके अनवांटेड परिणामों को कम करता है। इसलिए, यह पारंपरिक ऍलोपैथी आयरन सप्लीमेंट्स की तुलना ( comparison ) में ज्यादा सुरक्षित और सहनीय है। आधुनिक आयरन सप्लीमेंट से दांतों का कलर काला पड़ जाता है और पाखाना का कलर काला पड़ जाता है, लेकिन अच्छी तरह से तैयार मंडूर भस्म इन दुष्प्रभावों का कारण नहीं बनती है। आयुर्वेद ( ayurveda ) में प्रयुक्त लोहा भस्म की तुलना ( comparison ) में मंडूर भस्म भी अच्छी तरह से सहन करने योग्य है।

मंडूर भस्म साधारण थकान, दैहिक निर्बलता और स्किन की पीली मलिनकिरण को भी कम करता है। यह सांस की कष्ट, घुमेरी ( dizziness ) आना, स्वेलिंग और सरदर्द के साथ खून की कमी के करीब-करीब सब के सब लक्षणों से आराम दिलाने में सहायता करता है। यह घुमेरी ( dizziness ), आलस्य, एनोरेक्सिया और भूख न लगना का उपचार करने में भी सहायता करता है, जो खून की कमी के कारण होता है।

संजीदा रक्ताल्पता वाले लोगों में, हृदय की हार्टबीट तेज और अनियमित ( irregular ) हो जाती है। मंदूर भस्म अर्जुन पाउडर के साथ इस लक्षण ( symptom ) को कम करने में सहायता करती है और हार्ट को ताकतवर करती है।

आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुरूप ( accordingly ), मंडूर भस्म में हेमटिनिक (हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) के स्तर को बढ़ाता है) के अतिरिक्त हेमटोजेनिक (लाल ब्लड कोशिकाओं के गठन में मददगार) क्रिया भी होती है। इसलिए यह बोन मैरो की रोग वाले लोगों के लिए भी लाभदायक होता है।

दरांती कोशिका ( cell ) अरक्तता

तथापि, मंडूर भस्म अकेले सिकल सेल खून की कमी के प्रबंधन में अच्छी तरह से काम नहीं कर सकता है, लेकिन पुनर्नवा मंडूर नामक इसका सूत्रीकरण सिकल सेल खून की कमी के लिए प्रभावशाली ट्रीटमेंट ( treatment ) उपाय है। पुनर्नवा मंडूर ज्यादा लाल ब्लड कोशिकाओं का उत्पत्ति करने में सहायता करता है और लोहे की जरूरत को पूरा करता है। इसके अतिरिक्त, यह खून की कमी के कारण होने वाली थकान और स्वेलिंग को कम करता है।

शोफ

सूजन के अनेक अंतर्निहित कारण हो सकते हैं। यह संजीदा रक्ताल्पता और लीवर ( liver ) विकृतियों के कारण भी हो सकता है। यदि अंतर्निहित कारण संजीदा रक्ताल्पता और लीवर ( liver ) डिसऑर्डर है, तो मंदूर भस्म लाभकारी हो जाती है। पुनर्नवा पाउडर या पुनर्नवारिष्ट, सरिबद्यसव और शिलाजीत के सम्मिश्रण में, मंदूर भस्म स्वेलिंग को कम करती है। यह मिश्रण ( mixture ) स्वेलिंग को दूर करने में ज्यादा लाभकारी होता है।

जिओफैगिया - पृथ्वी या मिट्टी का आहार ( food )

मंडूर भस्म हीमोग्लोबिन ( hemoglobin ) के स्तर को बढ़ाकर पृथ्वी, गंदगी, चाक या मिट्टी खाने की अजीब लालसा को कम करता है। दरअसल, ज्योफैगिया अधिकतर लोगों में आयरन की अभाव से होने वाले खून की कमी के कारण होता है। शोध अध्ययनों ने यह भी सजेशन ( suggestion ) दिया कि इन लोगों में कैल्शियम ( calcium ) कम होने की भी इनफार्मेशन ( information ) है। इसलिए प्रवाल पिष्टी के साथ मंदूर भस्म बहुत लाभदायक होती है।

इन स्थितियों में, मिट्टी आंतों के सेहत को भी प्रभावित करती है और जिंक, आयरन और कैल्शियम ( calcium ) के साथ जरूरी पुष्टिकारक तत्वों के समावेश को खण्डित कर सकती है। ऐसे स्थितियों में, मंडूर भस्म का उपयोग करने से पहले एक रेचक दवा का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, मंडूर भस्म आंत्र को भी साफ करती है और उसमें से विदेशी पदार्थों को निकालने के लिए इसे डिटॉक्सीफाई करती है। इसलिए, यह हाज़मा कार्यों में भी इम्प्रूवमेंट करता है और और पुष्टिकारक तत्वों के समावेश को बढ़ाता है।

हेपेटाइटिस और जॉन्डिस

मंडूर भस्म में हेपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं। मंडूर भस्म और कुमार्यासव के साथ 2 से 4 हफ्ते का कोर्स ( course ) ब्लड में बिलीरुबिन के स्तर को कम करने में सहायता करता है और लीवर ( liver ) के कार्यों को साधारण करता है।

फैटी ( fatty ) जिगर ( liver ) बीमारी

मंडूर भस्म में लिपोलाइटिक क्रिया होती है और यह लिपोलिसिस को प्रेरित करती है। संभावित तंत्र लिपोलिसिस (चिकनाई का टूटना) सेलुलर इंसुलिन ( insulin ) प्रतिक्रिया को कम करके ब्लड में इंसुलिन ( insulin ) के स्तर को नियंत्रित कर रहा है। एक हाई इंसुलिन ( insulin ) स्तर लिपोलिसिस अवरोध के लिए उत्तरदायी हो सकता है, जिससे लीवर ( liver ) और बॉडी ( body ) के और भागों (विशेषकर आंत्र के अंगों) में चिकनाई का संचय होता है। हाइपरिन्सुलिनमिया के केस में, लीवर ( liver ) चिकनाई जमा करता है और स्टीटोसिस की ओर जाता है।

मंडूर भस्म में दोहरी क्रिया है। यह सेलुलर इंसुलिन ( insulin ) प्रतिक्रिया पर काम करता है और कोशिकाओं द्वारा इंसुलिन ( insulin ) की पर्याप्त मात्रा ( quantity ) में वृद्धि करके और ब्लड में अलावा इंसुलिन ( insulin ) स्तर का इशारा देकर ब्लड में इंसुलिन ( insulin ) के स्तर को कम करता है, जो बदले में इंसुलिन ( insulin ) डिस्चार्ज को नियंत्रित करता है। दूसरे, मंडूर भस्म स्वयं बॉडी ( body ) में चिकनाई चयापचय को बढ़ाकर जलती है, इसलिए यह फैटी ( fatty ) जिगर ( liver ) बीमारी का उपचार करती है।

हेमोलिटिक जॉन्डिस

हेमोलिटिक जॉन्डिस तब होता है जब ब्लड कोशिकाओं (आरबीसी) के क्षरण के कारण बिलीरुबिन का उत्पत्ति बढ़ जाता है। यद्यपि, ऐसी स्थिति में, मंडूर भस्म अकेले काम नहीं कर सकती। लाल ब्लड कोशिकाओं के संजीदा क्षरण को रोकने और रोकने की भी जरूरत है। इसके लिए प्रवाल पिष्टी, मुक्ता पिष्टी और गिलोय सत् ट्रीटमेंट ( treatment ) का अनिवार्य ( mandatory ) अंग बन जाते हैं। इसके अतिरिक्त, मंदूर भस्म ऊंचा बिलीरुबिन स्तर को कम करने और लाल ब्लड कोशिकाओं की क्वालिटी में इम्प्रूवमेंट करने में मददगार योगदान निभाता है।

रजोरोध

मंडूर भस्म में प्रत्यक्ष ( evident ) इमेनगॉग क्रिया नहीं हो सकती है। दरअसल, अधिकतर इंडियन स्त्रियों में आयरन की अभाव से होने वाला खून की कमी एमेनोरिया का कारण भी हो सकता है। ऐसे में मंडूर भस्म लाभकारी होती है। एमेनोरिया (माहवार धर्म का न होना) में अच्छा नतीजा के लिए मंदूर भस्म को कुमार्यासव के साथ मिलाकर लेना चाहिए।

कष्टार्तव

मंडूर भस्म में मरोड़-रोधी क्रिया भी होती है, जो आमाशय में मरोड़ और पीड़ा से आराम दिलाती है। अनेक किशोरियों में आयरन की अभाव से होने वाला खून की कमी भी मासिक में पीड़ा का एक कारण है। मंदूर भस्म अनिवार्य ( mandatory ) रूप से ऐसे स्थितियों में दोहरी क्रिया - एंटीस्पास्मोडिक के साथ-साथ लौह पूरकता के द्वारा लाभकारी हो जाती है।

डोज़ और प्रशासन

मंडूर भस्म की इलाज डोज़ इस तरह है।

बच्चे-रिकमंडेड नहीं

  • बच्चे-25 से 50 मिलीग्राम ( mg )
  • वयस्क-125 से 375 मिलीग्राम ( mg )
  • प्रेग्नेंसी ( pregnency )-25 मिलीग्राम ( mg )
  • जराचिकित्सा (वृद्धावस्था) -50 से 125 मिलीग्राम ( mg )
  • ज़्यादा से ज़्यादा मुमकिन डोज़-750 मिलीग्राम ( mg )

सुरक्षा प्रोफ़ाइल

मंडूर भस्म 125 मिलीग्राम ( mg ) की दो बार डेली डोज़ में कदाचित सुरक्षित और अच्छी तरह से सहन की जाती है। हाई डोज़ भी औषधीय निगरानी में कदाचित सुरक्षित हो सकती है।

दुष्प्रभाव ( side effect )

मंडूर भस्म के इस्तेमाल के साथ छह माह की लंबी अवधि के ट्रीटमेंट ( treatment ) की अवधि के लिए भी कोई दुष्प्रभाव ( side effect ) नहीं देखा गया है, इसकी डोज़ नित्य दो बार 125 मिलीग्राम ( mg ) से कम है। दिन में दो बार 250 मिलीग्राम ( mg ) की डोज़ में, मंडूर भस्म सामयिक इस्तेमाल के लिए भी सुरक्षित हो सकती है, लेकिन इस डोज़ का इस्तेमाल नित्य रूप से 4 हफ्ते से ज्यादा की अवधि के लिए एहतियात के साथ किया जाना चाहिए।

गंभीर विषाक्तता

अच्छी तरह से तैयार (प्राचीन विधियों के अनुरूप ( accordingly )) मंदूर भस्म में कोई गंभीर विषाक्तता नहीं होती है, लेकिन कच्ची मंदूर भस्म में गंभीर विषाक्तता और अनेक अनवांटेड प्रभाव ( effect ) हो सकते हैं जैसे:

  • काला पाखाना
  • आयरन अधिभार
  • मुँह का बदला स्वाद ( taste )

प्रेग्नेंसी ( pregnency ) और स्तनपान ( breastfeeding )

आयुर्वेद ( ayurveda ) के अनुरूप ( accordingly ), मंडूर भस्म एक हल्की दवा है और प्रेग्नेंट स्त्रियों के लिए बहुत सहनीय है। इसे प्रेग्नेंसी ( pregnency ) में प्रति दिन 50 मिलीग्राम ( mg ) से कम की डोज़ में सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सकता है।