Dhootapapeshwar Vanga Bhasma (10g)

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Dhootapapeshwar Vanga Bhasma (10g)

डायबिटीज

कारण

  • डायबिटीज का पारिवारिक हिस्ट्री
  • ज्यादा भार या मोटापा
  • अग्नाशयशोथ
  • आनुवंशिक कारक
  • पॉलीसिस्टिक अंडाशय बिमारियों वाली स्त्रियों में हार्मोनल ( hormonal ) इम्बैलेंस ( असंतुलन )

लक्षण

  • बढ़ी हुई भूख और तृष्णा
  • मूत्र करने की बेकाबू चाह
  • थकान और धुंधली नजर
  • टांगों या हाथों में सुन्नपन / सनसनाहट
  • थकान और निर्बलता
  • ज़ख्म जो सरलता से नहीं भरते

Nameधूतपापेश्वर वंगा भस्म (10 ग्राम)
BrandDhootapapeshwar
MRP₹ 198
Categoryआयुर्वेद ( ayurveda ), Bhasm & Pishti
Sizes10 ग्राम
Prescription RequiredNo
Length0 सेंटिमीटर
Width0 सेंटिमीटर
Height0 सेंटिमीटर
Weight0 ग्राम
Diseasesडायबिटीज

धूतपापेश्वर वांग भस्म . के बारे में

वांग (वंगा) भस्म (जिसे बंग भस्म भी कहा जाता है) टिन धातु से शोधन, मरदाना और मारना के साथ कैल्सीनेशन प्रोसेस के साथ तैयार किया जाता है। ये प्रक्रियाएं टिन धातु को सूक्ष्म सूक्ष्म बनाती हैं और मेडिसिनल प्रयोजनों के लिए उपयोग करने योग्य बनाती हैं। यद्यपि, वंगा भस्म को अच्छी तरह से तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि कच्चे बैंग भस्म के टिन मेटल सेवन के दुष्प्रभाव ( side effect ) हो सकते हैं। अच्छी तरह से संसाधित वंगा भस्म का इस्तेमाल केवल इलाज उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। वंगा भस्म नर और मादा रिप्रोडक्शन पद्धति के बिमारियों में लाभदायक है। इसका प्रभाव ( effect ) गर्भाशय, अंडाशय, वृषण और जननांगों पर दिखाई देता है। बंग भस्म अधिवृक्क ग्रंथि बिमारियों स्पेशल रूप से अधिवृक्क थकान या अधिवृक्क अपर्याप्तता में बहुत लाभकारी है।

धूतपेश्वर वांग भस्म की मटेरियल (रचना)

शुद्ध ( pure ) वंगा (बैंग) या शुद्ध ( pure ) टिन धातु वंगा भस्म का प्रमुख घटक है। इसे अनेक जड़ी बूटियों के साथ भी संसाधित किया जाता है और भिन्न-भिन्न शास्त्रीय ग्रंथों के अनुरूप ( accordingly ) तैयारी पद्धति अलग हो सकती है।

धूतपापेश्वर वांग भस्म के इशारा

बंग भस्म निम्नलिखित सेहत परिस्थितियों में लाभकारी है

  • पेशाब डिसऑर्डर
  • पेशाब पथ में इनफ़ेक्शन
  • मुँह से बुरा स्मेल
  • डिंबक्षरण
  • माहवार धर्म डिसऑर्डर
  • प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम ( syndrome ) (पीएमएस)
  • रजोनिवृत्ति
  • प्रदर
  • कष्टार्तव
  • बहुत गर्भाशय ब्लीडिंग
  • निरन्तर मूत्र आना

डोज़ के धूतपापेश्वर वांग भस्म

125 - 250 मिलीग्राम ( mg ) दिन में एक या दो बार इसे पारंपरिक रूप से गुडुची कषाय (टिनोस्पोरा काढ़ा), गुडूची सत्व, मधु ( honey ), घी, हल्दी के साथ दिया जाता है।

Precautions of Dhootapapeshwar Vang Bhasma

  • यह औषधि केवल सख्त औषधीय निगरानी में ही ली जानी चाहिए।
  • इस औषधि के साथ स्व-औषधि जोखिमभरा साबित हो सकती है।
  • ज्यादा डोज़ से संजीदा दुष्प्रभाव ( side effect ) और गैस्ट्र्रिटिस हो सकता है।
  • इस औषधि को चिकित्सक की परामर्श के अनुरूप ( accordingly ) सटीक ( exact ) मात्रा ( quantity ) में और सीमित अवधि ( समय ) के लिए ही लें।
  • शिशुओं की पहुंच और नजर से दूर रखें।
  • सूखी ठंडी जगह पर स्टोर ( store ) करें।